रायपुर- छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि गांवों के संसाधनों का बेहतर उपयोग कर स्थानीय लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाया जाएगा. ग्रामीणों को अपने आस-पास के परिवेश की अच्छी जानकारी होती है. इन जानकारियों का उपयोग उनके लिए योजनाएं और कार्यक्रम बनाने में किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जीआईएस मैपिंग जैसी आधुनिक तकनीक और ग्रामीणों का परंपरागत ज्ञान स्थानीय जरूरतों के मुताबिक श्रेष्ठ योजनाएं बनाने में मददगार होंगी. सिंहदेव ने मंगलवार को एक निजी होटल में आयोजित मनरेगा-जीआईजेड कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए. उन्होंने कार्यशाला के दौरान ‘मनरेगा के माध्यम से पर्यावरण-हितैषी कार्य’ परियोजना के तहत प्रदेश के छह जिलों बिलासपुर, सरगुजा, कांकेर, महासमुंद, धमतरी, बेमेतरा और कवर्धा में स्थापित जीआईएस लैब का उद्घाटन किया. उन्होंने परियोजना की गतिविधियों पर आधारित तीन पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया.
कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में शामिल ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, महिला स्वसहायता समूहों एवं जल उपभोक्ता समिति के सदस्यों, मनरेगा के अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सरकार के नरवा, गरवा, घुरवा और बारी को बचाने की पहल में जल तथा पर्यावरण संरक्षण की पूरी अवधारणा शामिल है. स्थानीय संसाधनों का इस तरह प्रबंधन और दोहन किया जाएगा कि उसका पूरा लाभ लोगों को मिले. उन्होंने कहा कि ‘मनरेगा के माध्यम से पर्यावरण-हितैषी कार्य’ परियोजना के अनुभवों एवं सुझावों को भी ग्रामीण विकास की नीतियों और योजनाओं को कार्यरूप देने में शामिल किया जाएगा.
कार्यशाला में परियोजना के अंतर्गत शामिल कुरूद और डोंगरगढ़ विकासखंड के किसानों, ग्रामीणों और महिला स्वसहायता समूह के सदस्यों ने मनरेगा अभिसरण से किए गए कार्यों से स्थानीय स्तर पर आए बदलावों के अनुभव साझा किए. कार्यशाला में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सचिव रीता शांडिल्य, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.सी. मिश्रा, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एन.पी. महापात्रा, उपमहाप्रबंधक श्री श्रीनिवास, मुख्य वन संरक्षक श्री अमरनाथ प्रसाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक श्री गोपाल मित्तल, मनरेगा उपायुक्त आर.के. शर्मा, जीआईजेड संस्था के निदेशक राजीव अहल, राज्य समन्वयक सौरव पहारी एवं समर्थन संस्था के कार्यक्रम निदेशक मनीष श्रीवास्तव भी उपस्थित थे.
‘मनरेगा के माध्यम से पर्यावरण-हितैषी कार्य’ परियोजना
‘मनरेगा के माध्यम से पर्यावरण-हितैषी कार्य’ परियोजना जर्मनी की सरकार, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित है। जर्मनी की सरकार की तरफ से वहां की संस्था जीआईजेड (German Agency for International Cooperation) तथा स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों समर्थन और एग्रोकेट्स ने इस परियोजना को तकनीकी सहयोग दिया है. परियोजना के तहत मनरेगा तथा राज्य व केन्द्र सरकार की अनेक योजनाओं के अभिसरण से धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड और राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के 13-13 ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण, नदी संरक्षण, नाला संरक्षण, आजीविका संवर्धन, वृक्षारोपण और सामुदायिक जल प्रबंधन के टिकाऊ कार्य किए जा रहे हैं। भुवन एप्लीकेशन और गुगल मैप जैसे आधुनिक सेटेलाइट मैपिंग तकनीकों का उपयोग कर इन कार्यों की सटीक, विज्ञानसम्मत और प्रभावी योजनाएं बनाई गई हैं.