Paush Bada Festival पौष बड़ा महोत्सव क्या है? पहले यह जानिए… “पौष बड़ा महोत्सव” सर्दियों के स्वागत के लिए हिंदू कैलेंडर के पौष महीने के दौरान राजस्थान के विभिन्न शहरों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है. आपको बता दें कि पौष मास 16 दिसंबर से शुरू हो गया है, जो 13 जनवरी तक चलेगा. पौष मास के साथ ही मंदिरों में पौष बड़ा उत्सव भी शुरू हो गया है. पौष माह की शुरुआत से ही राजस्थान के छोटे-बड़े मंदिरों में पौषबड़ा उत्सव शुरू हो जाता है.
पौष माह के दौरान हर दिन शहर के किसी न किसी मंदिर में पौषध कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस त्योहार के लिए, लोग सामूहिक रूप से एक गर्म दावत तैयार करते हैं, जिसे पहले भगवान को अर्पित किया जाता है और फिर भक्तों के बीच वितरित किया जाता है. पौषबड़ करीब 30 तरह के मसालों से बनाया जाता है. हलवा देसी घी से बनाया जाता है. सबसे पहले भगवान को पौषवड़ा और हलवे का भोग लगाया जाता है. पौषबड़े का इतिहास 250 वर्ष से भी अधिक पुराना है.
जयपुर शहर की स्थापना के साथ ही मंदिरों की रसोई में पौषबड़ा उत्सव की शुरूआत हुई, जिसके कारण शहर का कोई भी मंदिर ऐसा नहीं है, जहां पौष माह में पौषबड़ा प्रसादी का आयोजन न होता हो.
20 लाख श्रद्धालु अलग-अलग समय पर बड़ों का लुत्फ उठाएंगे
जयपुर में मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, बंगाली बाबा आश्रम, नेहर गणेश जी और मिस्त्री खाना वाले वीर हनुमानजी सहित लगभग 20 स्थान लक्खी पौष बड़े महोत्सव की मेजबानी करेंगे. इन सभी मंदिरों के आयोजनों की बात करें तो करीब 20 लाख लोग अलग-अलग समय पर पौष बड़ों का लुत्फ उठाएंगे. जिसमें करीब 50 हजार किलो दाल और करीब 11 हजार किलो हलवे की प्रसादी बांटी जाएगी. इसमें कई किलो तेल, कई किलो घी, चीनी पाउडर और मसालों का इस्तेमाल होगा.
Paush Bada Festival: इस तरह तैयार होता है प्रसाद
पौषबड़ा प्रसादी 30 तरह के गरम मसालों से तैयार की जाती है. जीरा, हरी इलायची, बड़ी इलायची, दालचीनी, लौंग, सौंफ, चक्र फूल, जायफल, जावित्री, तेजपत्ता, धनिया, काली मिर्च, लौंग, मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, अजवाइन, दाल और अन्य मसालों का उपयोग किया जाता है. इन मसालों में एंटीबैक्टीरियल और कुछ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. सर्दियों में इसका सेवन निर्धारित मात्रा में किया जाए तो यह सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.
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