शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा शीतकालीन सत्र की कार्यवाही जारी है। सदन में एमपी निजी विद्यालय फीस संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा हुई। कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश में सरकारी शिक्षकों की सैलरी लाखों में है और बच्चे कम है। वहीं प्राइवेट स्कूल में कम वेतन और बच्चों की संख्या अधिक है। वहीं निजी स्कूलों को बंद करने की मांग की है। विपक्ष के सवाल का सत्ता पक्ष (सरकार) ने जवाब दिया हैं। गहमागहमी के बाद मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस संशोधन विधेयक 2024 पारित कर दिया गया।

नेता-अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का करें प्रावधान- कांग्रेस

एमपी विधानसभा शीतकालीन सत्र का आज गुरुवार को चौथा दिन है। सदन में मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा हुई। कांग्रेस विधायक फुंदे लाल मार्को ने कहा कि एसपी और कलेक्टर समेत वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने का प्रावधान किया जाना चाहिए। सरकारी शिक्षकों को लाखों की तनख्वाह और बच्चे कम है। प्राइवेट स्कूल में कम वेतन और बच्चों की संख्या अधिक है। प्रदेश में निजी स्कूलों का जाल है।

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प्रदेश में शिक्षा माफिया का राज- कांग्रेस विधायक

फुंदेलाल ने कहा कि सदन में ही कई ऐसे सदस्य हैं जिनके स्कूल चल रहे हैं। जरूरी है कि निजी स्कूलों में भी आरक्षण प्रणाली लागू की जाए। ताकि SC-ST समेत अन्य पिछड़े वर्गों को समानता से शिक्षा मिल सके। फीस को लेकर कानून आए, लेकिन भवन, खेल मैदान और शिक्षण व्यवस्थाओं को ही देख मान्यता देनी चाहिए। सरकार को सर्वे करना चाहिए। इधर, कांग्रेस विधायक रामकिशोर दोगने ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा माफिया का राज है। सभी विधायक और अधिकारी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते है। ये शिक्षा में माफियाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। सरकारी समिति बनाने से क्या होगा, चंदा वसूली फिर शुरू हो जाएगी।

मंत्री बोले- आपका भी स्कूल है

वहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि आपके भी स्कूल हैं न, अच्छा बोल रहे हैं आप तो.. इस पर कांग्रेस एमएलए रामकिशोर दोगने ने कहा कि हां मेरा स्कूल है, तभी बोल रहा हूं। 1 लाख में छात्रावास के साथ भोजन और शिक्षा दे रहा हूं। जरूरी है कि शिक्षा को लेकर ठोस सुधार करना चाहिए। सरकारी स्कूलों को बढ़ाना क्यों चाहते हैं। मैं कहता हूं सरकार शिक्षा माफिया का सहयोग कर रही है।

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उपनेता प्रतिपक्ष ने की निजी स्कूलों को बंद करने की मांग

कांग्रेस विधायक राजन मंडलोई ने कहा कि जब सरकार के पास पर्याप्त बजट है, तो निजी स्कूलों को बंद करना चाहिए। सरकारी स्कूलों से ही प्रतिभा निकलेगी। स्कूल शिक्षा में सुधार होगा। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि निजी स्कूलों में कमीशन का खेल चलता है। मोटी रकम लेते हैं, बिल में इसका उल्लेख नहीं है। बिल में दो फीस बताई गई है। ये पुस्तकालय फीस और वाचनायल फीस, ये तो लूट को खुली छूट हुई। शिक्षा का स्तर सुधारना है तो नीतिगत निर्णय भी सही होना ही चाहिए।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कही ये बात

स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि इस देश में 2014 पहले और बाद की मान्यताएं, पद्धति में जमीन आसमान का अंतर है। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि निजी स्कूलों को लेकर सरकार का आक्रमक रवैया होना चाहिए, ये नया विधेयक जो सदन में लाए हैं। वर्तमान में 34 हजार निजी स्कूल हैं, निजी संस्थान संबधित समिति का अधिकार है, उसे कैसे बंद किया जाए, लेकिन इनकी निगरानी और मनमानी पर रोक लगाई जा सकती है।

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मनमानी पर लगेगी रोक- उदय प्रताप

उन्होंने बताया कि विद्यालय भी ऐसे हैं 21 हजार छोटे स्कूल जहां 25 हजार से कम फीस है। इन पर भी नजर सरकार रखेगी। चाहे 1 लाख फीस लेने वाला स्कूल हो हम सब पर कड़ाई से काम कर रहे हैं। परिवहन के नाम पर भी स्कूल प्रबंधन की मनमानी सामने आती है, नए विधेयक में इस मनमानी पर रोक लगाई है। फीस बढ़ोतरी की शिकायत करने वाले पालकों के लिए भी प्रावधान किया है। मंत्री की अध्यक्षता में शिकायत का निराकरण होगा।

स्कूलों में यौन उत्पीड़न को लेकर सख्ती

उदय प्रताप ने आगे कहा कि स्कूलों में यौन उत्पीड़न को लेकर भी सख्त हैं। दोषी संस्था और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। 40 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट स्कूल में पड़ते हैं। राइट टू एजुकेशन के तहत छात्र छात्राओं को प्राथमिकता दी जा रही है। लिहाजा आरक्षण की पिछड़ों के लिए जरूरत नहीं है। ड्रॉप आउट को लेकर निर्णय लिया कि पांचवीं से छठवीं, आठवीं से नौवीं में जाए इनकी जिम्मेदारी प्राचार्य की होगी। अप्रैल में तय करेंगे कि अतिथि शिक्षक कहा पढ़ाएगा। ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी गणवेश, पुस्तक देने के लिए काम करेंगे। शिक्षा को बेहतर करने के लिए पालकों के सहयोग के लिए यह बिल है।

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