पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। देवभोग विकासखंड के ग्राम सीनपाली में नई बैंक शाखा नहीं खुलने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसानों को रोजाना पांच करोड़ की धान खरीदी पर केवल एक करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है. देवभोग जिला सहकारी बैंक में बीते दिन कैश की किल्ल्त के चलते भुगतान नहीं हो सका. ऐसा ही हाल गोहरापदर सहकारी बैंक में भी देखने को मिला है.
देवभोग जिला सहकारी बैंक के अंतर्गत 10 खरीदी केंद्र आते है. जहां 94 गांव के 9780 किसान धान बेचते हैं. रोजाना 1 हजार किसान, 4 से 5 करोड़ का धान बेचते हैं, कर्ज कटौती के बावजूद बैंक से कम से कम 3 करोड़ का भुगतान किसानों को लेना होता है. लेकिन बैंकों में 1 करोड़ का भुगतान होते होते पूरा दिन निकल जाता है. कैश किल्लत के चलते देवभोग में बुधवार को भुगतान नहीं हो सका, अगले दिन भी बैंक किसानों से भर गया। वहीं गोहरापदर सहकारी बैंक में भी भुगतान को लेकर किल्लत हैं.
बढ़ी पंजीकृत किसानों की संख्या
2020 में देवभोग ब्रांच के पंजीकृत कृषकों की संख्या 6 हजार से कम थी, जो पिछले चार सालों में 30 फीसदी बढ़कर 9700 के पार हो चुकी है. सरकार के किसान हितैषी फैसले और योजनाओं के बाद सहकारिता बैंक पर किसानों की निर्भरता बढ़ गई. बैंकों को समय के साथ अपग्रेड नहीं करने से एमएसपी योजना से जुड़े कृषकों को भुगतान के दौरान परेशानी हो रही है.
दरअसल, प्रदेश की पिछली भूपेश सरकार ने 6 दिसंबर 2022 को सीनपाली में सहकारी बैंक खोलने की घोषणा की थी. इससे देवभोग सहकारिता बैंक से 12 पंचायत से जुड़े 30 से भी ज्यादा गांव का भार कम हो जाता. जिला सहकारी बैंक रायपुर कार्यालय ने 30 जुलाई 2024 को गोहरापदर ब्रांच को पत्र लिखा था. जिसमें आरबीआई से मिली मंजूरी का हवाला देकर स्थल चयन का निर्देश दिया. चयन प्रक्रिया पूरी भी हो गई थी, लेकिन प्रकिया को अचानक शिथिल कर दिया गया. किसानों में आक्रोश है, नई बैंक शाखा नहीं खोले जाने पर वे प्रदर्शन की तैयारी में हैं.
मामले में जिला सहकारी बैंक रायपुर की सीईओ अपेक्षा व्यास ने कहा कि तब स्टाफ की कमी थी, अब भर्ती हो गई है. आर बी आई को दोबारा पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है. जल्द ही प्रकिया को शुरू कर दिया जाएगा.
भुगतान की समस्या को लेकर सीईओ अपेक्षा व्यास ने कहा कि प्रत्येक ब्रांच में एटीएम, कई खरीदी केंद्रों में माइक्रो एटीएम खोली गई है. यूपीआई और ऑन लाइन बैंकिंग से भुगतान की प्रकिया का भी प्रावधान है. जगह-जगह शिविर लगाकर कृषकों को इन भुगतान पद्धति से अवगत भी कराया जा रहा है.
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