रायपुर। छत्तीसगढ़ में चिटफंड घोटाला एक बहुचर्चित मामला है. इस मामले में छत्तीसगढ़ में न जाने कितने ही परिवार बर्बाद हो गए है. यह मामला सियासत को गरमाने वाला रहा है. इस मामले मॉको विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खूब भुनाया. कांग्रेस वादा भी किया चिटफंड मामले में पीड़ितों को राहत, पैसों की वापसी और संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होगी. कांग्रेस ने सरकार बनने के बाद इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए. लेकिन ये तो वो सारी बातें जिसे पहले से भी जानते रहे होंगे. लेकिन आज बात उस जानकारी की जिसका खुलासा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फेक न्यूज संगोष्ठी में किया.
भूपेश बघेल ऐसी जानकारी बताई जिसे सुनकर हैरानी होती है. यकीन करना मुश्किल होता है कि पूर्व सरकार में सच में चिटफंड मामले में शासन-प्रशासन का यह रवैय्या रहा है. वो भी एक ऐसे मामले का जिसमें 10 हजार करोड़ छत्तीसगढ़ का चला गया है. जिसने हजारों युवाओं की जिंदगी और सैकड़ों परिवार का घर तबाह कर दिया है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि एक दिन मैं एक संपादक के पास बैठकर चिटफंड कम्पनी की ओर से विज्ञापन दिया गया. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने उस कार्यक्रम में प्रमाण पत्र बाटें.
ये कौन लोग है? फिर जब मैं सरकार आया और मंत्रालय में मैंने चिटफंड मामले की फाइल मंगाई तो पता चला यहां कोई फाइल ही नहीं है. मैं यह जानकर हैरान रह गया गि छत्तीसगढ़ में 10 हजार करोड़ घोटाला वाले चिटफंड से जुड़ी कोई फाइल ही नहीं. मैंने कहा जो मेरे पास जो दस्तावेज उस पर कार्यवाही करो.
मुख्यमंत्री ने यह जानकारी फेक न्यूज विषय पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में दी. उन्होंने फेक न्यूज पर बोलते हुए कहा कि फेक न्यूज़ केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इसे लेकर चिंतित है. प्रभावित भी है. पीड़ित भी है. हमारे देश में जिस तरह से गणेश जी को दूध पिलाने की घटना का जिक्र हुआ. लोकसभा में जयप्रकाश नारायण को श्रद्धाजंलि दे दी गईं थी.
उन्होंने अपने पुराने दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे यहां होली के दिनों ऐसी झूठी खबरे एक दिन छपती थी लेकिन किसी कोने में लिख दिया जाता था होली समाचार. पर अब फेक न्यूज उद्योग बन गया है. चुनाव जितने का, हिंसा कराने और जेब काटने का माध्यम हो गया है. जब मैं सरकार में आया और मैंने फाइल मंगाया तो पता चला कि इस मामले में कोई फाइल ही नही है. छत्तीसगढ़ के लोगों का दस हजार करोड़ रुपये चला गया. फेक न्यूज़ की वजह से कई परिवार बर्बाद हो गए. छत्तीसगढ़ में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक हत्या हुई झीरम घाटी की घटना. लेकिन अखबार में ये छपा की रुट बदला गया. एक तरफ फेक न्यूज़ की बात जो रही है दूसरी तरफ फेकने वालों की बात हो रही है. जेटली तक शर्मा जाए. मेरे जेब में भी मोबाइल है. लेकिन जब तक दूसरे दिन मैं पेपर नहीं पढ़ता सच नहीं मानता. एक दिन मेरा ही एक रिश्तेदार मेरे पास आया और मुझसे पूछा कि क्या सच में नेहरू जी मुसलमान थे. मैंने कहा गूगल उठाओ और देख लो. देश में एक वर्ग है जो इन सब चीजो को देखता नहीं है. कुछ है इलेक्ट्रॉनिकली देखते है लेकिन एक बड़ा वर्ग है जो आज भी माउथ पब्लिसिटी से सुनता है. बहुत लोग टेलीविजन देखते है लेकिन क्या देखते हैं ये रिश्ता क्या कहलाता है. आज बीबीसी जैसे बहुत से संगठन है जो फेक न्यूज़ के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. आज स्थिति क्या है.
हम अपने मुद्दों को लेकर लड़ाई नहीं लड़ते. दूसरों के मुद्दों को लेकर लड़ते है. मैं समझता हूँ फेक न्यूज़ की गंभीरता को आप सब समझते हैं. नई पीढ़ी को इतना कहूंगा कि विषय की गहराई में जाइये नहीं तो कोई भी गणेश को दूध पिलाकर आपको ठग सकता है. इसके पीछे बहुत से संगठित गिरोह काम कर रहा है. भविष्य में इस मामले को लेकर केंद्र में यदि कोई बैठक होगी तो हम इस मामले को उठाएंगे. आज स्थिति ऐसी है कि रिवेन्यू डिपार्टमेंट में जमीन की कीमत आज भी 1 रुपये है. जब हम कॉलेज में पढ़ते थे तब कअखबार की कीमत जो थी आज भी उसमें थोड़ा बहुत ही बढ़ा है. क्या 3 रुपये में अखबार छप सकता है? इसे समझना होगा.