दिल्ली. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हो गए हैं। हमले के बाद भारत सरकार पड़ोसी देश पाकिस्तान को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकती है। शुक्रवार शाम को रूस, जर्मनी और कनाडा समेत कई देशों के डिप्लोमेट विदेश मंत्रालय पहुंच रहे हैं। यहां पर भारत सरकार इन देशों के प्रतिनिधियों के साथ विचार विर्मश कर कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
विदेश मंत्रालय की शाम 6 बजे शुरू होने इस बैठक में जर्मनी, हंगरी, इटली, यूरोपीय संघ, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया , जापान, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, स्लोवाकिया, फ्रांस, स्पेन, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नेपाल के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सरकार पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कोई बड़ा फैसला ले सकती है। इससे पहले विदेश मंत्रालय पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब किया था।
इस मामले पर जारी राजनयिक प्रयासों के रुप में विदेश सचिव ने सभी पी -5 देशों, सभी दक्षिण एशियाई देशों और अन्य महत्वपूर्ण साझेदारों जैसे जापान, जर्मनी, कोरिया गणराज्य समेत 25 देशों के राजनायिकों से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि विदेश सचिव ने सभी देश के मिशन प्रमुखों के सामने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और जैश-ए-मोहम्मद की हमले में भूमिका को उजागर किया है।
सूत्रों के मुताबिक, इन सभी प्रतिनिधियों ने माना है कि पुलवामा के आतंकी हमले के पीछे जैश ए मोहम्मद का हाथ था। विदेश सचिव ने ये भी मांग की कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को फंडिंग देना तत्काल बंद करे। इसके बाद ही भारत ने कुख्यात आतंकी अजहर मसूद को लेकर कार्रवाई करने की भी मांग की है।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को इस जघन्य आतंकी हमले के मद्देनजर विचार विमर्श के लिये दिल्ली बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि विदेश सचिव विक्रम गोखले ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल महमूद को शुक्रवार दोपहर 2 बजे विदेश मंत्रालय में तलब किया और बृहस्पतिवार को पुलवामा में आतंकी हमले पर सख्त आपत्तिपत्र जारी किया। विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से कहा कि पाकिस्तान जैश ए मोहम्मद के खिलाफ तत्काल एवं प्रमाणिक कार्रवाई करें ।