इन्द्रपाल सिंह, नर्मदापुरम। सरकारी योजनाओं का किस तरह से पालन हो रहा है। इसका एक उदाहरण मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में देखा जा सकता है। दरअसल, बीआरसी कार्यालय के बंद हॉल में वह साइकिल पड़ी हुई है, जो कोरोना काल में सरकारी स्कूल के पात्र छात्र छात्राओं को वितरित जाना था। लेकिन उस समय या बाद में नहीं बांटी गई और पड़े-पड़े साइकिल खराब हो चुकी हैं। अब तो हालत यह है कि साइकिलों को सुधरवाने में जितना खर्च आ रहा है उतने में नई साइकिल खरीदी जा सकती है। जिसके चलते यह साइकिलें बंद हॉल में 3 साल से कबाड़ हो रही है।

खराब हो चुकी इन साइकिलों का फैक्ट्री में निर्माण तो हो गया, लेकिन बदकिस्मती की बात यह कि इन साइकिलों का उपयोग किसी ने नहीं किया और बिना उपयोग किये यह खराब भी हो गई। नर्मदापुरम के बीआरसी कार्यलय के हॉल में पड़े-पड़े खराब हो चुकी साइकिल के बारे में जिले के शिक्षा से जुड़े अधिकारी चंद्रभूषण वशिष्ठ बताते है कि छात्र छात्राओं को पूर्व में जो साइकिल वितरित की जानी थी, उस संख्या से अधिक साइकिल विभाग को मिली थी।

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कोरोना काल में छात्र छात्राओं को भी साइकिल वितरित नहीं हो सकी थी, जो हॉल में जमा रखी हैं। साइकिलें बेहद खराब हो चुकी हैं, इसलिए अब छात्र-छात्राओं को यह वितरित नहीं की जा सकती और उनको सुधरवाने में बहुत ज्यादा खर्च आ रहा है। इसकी जानकरी उच्च कार्यलय को पूर्व में दी जा चुकी है। जिनकी ओर से कोई जबाब नर्मदापुरम को नहीं मिला है।

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अगर समय रहते खराब हो चुकी साइकिलें वितरित कर दी जाती तो छात्र छात्राओं को योजना का लाभ भी मिल जाता। साथ ही सरकारी योजनाओं की बर्बादी भी नहीं होती, लेकिन नर्मदापुरम जिले में पिछले 3 वर्षों में कितने ही अधिकारी बदल चुके है, लेकिन बीआरसी कार्यलय के हॉल में पड़ी इन साइकिलों का कोई निराकरण नहीं हो सका और आज भी 200 से ज्यादा साइकिलें यहां बर्बाद हो रही हैं।

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