अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश का विश्व प्रसिद्ध बौद्ध पर्यटन स्थल सांची पहला सौर ऊर्जा से संचालित शहर घोषित होने के बाद भी नगर परिषद की लापरवाही और उदासीनता के कारण चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सोलर सिटी और ई-रिक्शा योजना को लेकर बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन आज यह प्रोजेक्ट नगर परिषद की लापरवाही के चलते बर्बाद होता नजर आ रहा है।

सांची को प्रदूषण मुक्त और ग्रीन सिटी बनाने के उद्देश्य से सरकार ने नगर परिषद को लाखों रुपए की लागत से चार ई-रिक्शा और दो कचरा वाहन उपलब्ध कराए थे। इसके साथ ही सौर ऊर्जा से संचालित एक बड़ा चार्जिंग स्टेशन भी बनाया गया था। हालांकि, वर्तमान में यह सभी ई-रिक्शा और कचरा वाहन नगर परिषद के कबाड़खाने में धूल खा रहे हैं। स्थानीय विधायक का होर्डिंग इन्हीं ई-रिक्शा के नीचे दबे पड़े है।

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बतादें कि सांची, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए दुनियाभर में मशहूर है, आज नगरपरिषद की लापरवाही की वजह से सुर्खियों में है। डेढ़ साल पहले सरकार ने सांची को सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला शहर घोषित कर बड़ी उम्मीदें जगाई थीं और सांची को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नगर परिषद को लाखों रुपए की लागत से चार ई-रिक्शा वाहन और दो कचरा वाहन दिए गए थे साथ ही एक बड़ा चार्जिंग पॉइंट भी बनाया गया था। आज यह ई-रिक्शा नगर परिषद सांची में कबाड़े में पड़े है।

प्रदेश का पहला सौर ऊर्जा से चलने वाला शहर

सांची में लगभग डेढ़ साल पहले प्रदेश का पहला सौर ऊर्जा से चलने वाला शहर बना था। तब देश-विदेश में भी जमकर इसकी चर्चा हुई थी, हो भी क्यों न, यहां का हर घर, सड़क, दफ्तर और तकरीबन सब कुछ सौर ऊर्जा से जो रौशन हो रहे थे। सरकार ने भी इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। सांची को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नगर परिषद को इसी प्रोजेक्ट के तहत ई-रिक्शा उपलब्ध कराया गया। एक बड़ा चार्जिंग पॉइंट भी बनाया गया। लेकिन अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते आज यह ई-रिक्शा नगर परिषद भंगार में जा चुके हैं। लाखों रुपए की लागत से खरीदे गए चार ई रिक्शा एवं दो कचरा वाहन नगर परिषद के कबड़खाने में धूल खा रहे हैं। जो भंगार में तब्दील हो गए हैं।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का पोस्टर पहिया के नीचे दबा

हद तो तब हो गई जब स्थानीय विधायक एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी के फोटो लगा होर्डिंग इन्हीं ई-रिक्शा के पहिया के नीचे दबा हुआ मिला। जिस के पास ही पेशाब का ढेर मिला। जो नगर परिषद के कर्मचारी करते हैं। वहीं इस मामले में जब नगर परिषद के सीएमओ से बात की गई, तो उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि अभी उन्होंने कुछ दिन पहले ही नगर परिषद की भाग दौड़ संभाली है।

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क्या होगी कार्रवाई या फाइलों में दबेगा मुद्दा

ई-रिक्शा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कितनी लागत में आए थे और कहां से मिले थे। सरकार ने सांची को ग्रीन सिटी बनाने के सपने दिखाए थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने इस सपने को कबाड़ में तब्दील कर दिया। अब देखना यह होगा कि इस मामले में कोई कार्रवाई होती है या फिर यह मुद्दा भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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