भोपाल। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर करोड़ों की संपत्ति मिलने के बाद कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। लेकिन प्रदेश में आरटीओ द्वारा चेक पोस्ट पर अवैध वसूली का खेल कोई नहीं बात नहीं है। इसके पहले शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में यह भ्रष्टाचार जमकर फल फूल रहा था। जिसको लेकर केंद्र सरकार और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसको लेकर कई बार प्रदेश सरकार को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने अवैध वसूली और अवैध चेक पोस्ट को तत्काल बंद करने की बात कही थी। हालांकि केंद्रीय मंत्री के पत्र के बाद भी प्रदेश में भ्रष्टाचार का खेल जारी है, लेकिन डॉ मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई हुई।
दरअसल, एमपी में जब शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी तब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पास शिकायत पहुंची थी। जिसमें प्रदेश में चेक पोस्टों पर अवैध वसूली की बात कही गई थी। प्रदेश के अलग अलग सीमाओं पर अवैध चेक पोस्ट लगाकर ट्रांसपोर्टरों से वसूली की जाती थी। रोड टैक्स, टोल टैक्स के बाद भी बॉर्डर पर पैसे लिए जाते थे। इसकी शिकायत ट्रांसपोर्टरों ने कई बार की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। जिसके बाद इन ट्रांसपोर्टरों ने केंद्र सरकार से शिकायत की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सराकर ने तीन बार एडवाइजरी जारी की थी। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने तत्कालीन शिवराज सरकार, तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को कई पत्र लिखे गए थे। जिसमें अवैध वसूली पर रोक लगाने की बात कही गई थी। इसके बावजूद बैरियरों पर अवैध वसूली का खेल चलता रहा।
केंद्र व गडकरी की ओर से लिखे गए पत्र
आयुक्त परिवहन को 14 सितंबर 2020, पीएस परिवहन को 6 सितंबर और 12 दिसंबर 2021 को, मध्य प्रदेश शासन को 9 दिसंबर 2021 और 16 जुलाई 2022 को पत्र लिखे गए थे। इसके अलावा केंद्र ने तीन बार एडवाइजरी भी जारी की थी।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 16 जुलाई 2022 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मध्य प्रदेश के आरटीओ अधिकारी कर्मचारी द्वारा चेक पोस्ट एंट्री के लिए बड़े पैमाने पर हो रही रिश्वत खोरी के बारे में इस निवेदन द्वारा विदित किया गया। इससे पहले भी आपको इस विषय में ध्यान देने की प्रार्थना की थी। लेकिन इस समस्या का कोई भी हल नहीं निकला। जिसकी वजह से मध्य प्रदेश का नाम खराब हो रहा है। इस निवेदन द्वारा उजागर किए गए मुद्दों के बारे में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाने की जरूरत है। आपसे गुजारिश है कि आप खुद इस मामले में सख्त और उचित कार्रवाई करें। लेकिन केंद्र की ओर से कई बार-बार पत्र लिखने जाने के बाद भी चेक पोस्टों पर अवैध वसूली का खेल जारी रहा।
डॉ मोहन ने CM बनते ही लिया बड़ा फैसला
वहीं डॉ मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई हुई। हाल ही में सीएम डॉ मोहन ने प्रदेशभर के अवैध चेक पोस्ट बंद करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गठन होने के साथ ही कठोर निर्णय लिए है। इसमें एक बड़ा निर्णय लिया गया था, सभी टोल बैरियर पर जो वसूली चलती थी या टोल पर शिकायत थी, सबको हमारी सरकार ने बंद कर दिया। हम किसी भी हालत में किसी तरह के भी करप्शन को बर्दाश्त नहीं करेंगें। इसमें जिस स्तर पर भी कार्रवाई करना है, हमारी सरकार लगातार कर रही है और करती रहेगी। सुशासन के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में देश और हमारे प्रदेश के साथ हम कदम से कदम मिलाकर सभी प्रकार के विकास के मामलों को लेकर लगातार चलते रहेंगे।
परिवहन विभाग का पूर्व कर्मचारी के पास मिली बेहिसाब दौलत
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को लोकायुक्त ने राजधानी भोपाल में छापेमार कार्रवाई की थी। वहीं 19 दिसंबर को मेंडोरी गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी की एक लावारिस क्रिस्टा गाड़ी खाली प्लॉट पर खड़ी है। जिसमें 6 से 7 बैग रखे हुए हैं। कैश का अंदेशा होने की वजह से आयकर विभाग को सूचित किया गया था। जिसके बाद IT की टीम ने कांच तोड़कर अंदर से बैग बाहर निकला, जिसमें 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये कैश बरामद किया गया था।
सौरभ के घर से मिले थे करोड़ों रुपये
लोकायुक्त टीम ने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थित निवास पर भी छापा मारा था। जहां से वाहन, घर के सामान, आभूषण और नगद जिसकी कुल कीमत 3 करोड़ 86 लाख रुपये है। वहीं आरोपी के कार्यालय जहां उनका सहयोगी चेतन सिंह गौर का निवास भी है, वहां से चांदी और नगद, कुल 4 करोड़ 12 लाख की संपत्ति बरामद की गई थी।बताया जा रहा है कि प्रदेश के अलग-अलग जगह पर बेनामी संपत्ति के दस्तावेज भी मिले थे। सौरभ शर्मा को पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उन्होंने सिर्फ 10-12 साल की नौकरी की, फिर परिवहन विभाग से वीआरएस ले लिया था।
IT की रडार पर परिवहन विभाग
आयकर विभाग की रडार पर अब प्रदेश का पूरा परिवहन विभाग है। दरअसल, जांच अधिकारियों के हाथ लगी सौरभ की डायरी से बड़ा खुलासा हुआ है। डायरी की मानें तो परिवहन विभाग में हर साल 100 करोड़ का काला हिसाब होता था। प्रदेश के 52 RTO और बड़े अफसरों के नाम, नंबर, पता के साथ हर माह पहुंचने वाली रकम लिखी है। उगाही की काली कमाई का पैसा ऊपर तक पहुंचाने का अनुमान है।
तीन एजेंसियां जांच में जुटी
केंद्र की प्रवर्तन निदेशालय एफआईयू (फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन) यूनिट भी मामले में जुटी है। सौरभ के सहयोगी चेतन का 150 पन्ने में बयान दर्ज हुआ है। चेतन ने अफसरों के साथ कई बड़े नेताओं से सौरभ के गठजोड़ का भी खुलासा किया है। चेतन के बयान पर विदेश में काली कमाई के निवेश को लेकर अफसरों ने पड़ताल शुरू कर दी है। फिलहाल इस पूरे मामले में लोकायुक्त, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय, तीनों जांच एजेंसियां जांच में जुटी हुई है।
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