विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सीएम योगी के बयान का पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी से बड़ा सफेद झूठ कोई और नहीं बोल सकता। बाबा साहेब अंबेडकर बंगाल विधानसभा से संविधान सभा में चुने गये थे, पर उनकी विधानसभा सीट पूर्वी पाकिस्तान में चले जाने पर वह संविधान सभा सदस्य ही नहीं रह गए थे। आजादी के बाद संविधानसभा की प्रारूप समिति बननी थी तो उस पर परामर्श हेतु पं.नेहरू, सरदार पटेल दिल्ली में बिड़ला मंदिर के पीछे की दलित बस्ती में गए, जहां उन दिनों बापू रहा करते थे। वहां बैठक में बाबा साहेब अंबेडकर का नाम तय हुआ। तब बाबा साहेब को पहले सदन में लाना जरूरी था।
पंडित नेहरू ने पूना के एम. आर. जयकर को संविधान सभा से त्यागपत्र दिलाकर सीट खाली कराई। उस पर बम्बई प्रांत विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में डा.अंबेडकर संविधानसभा हेतु सदस्य चुने गये। आगे जब प्रारूप समिति बनी तो उन्हें सदस्य रखा गया। ऐसी महत्वपूर्ण संसदीय समितियों का अध्यक्ष बहुमत दल सदस्य हुआ करता है और लोग अनुमान लगा रहे थे कि कांग्रेस से कौन बनेगा, लेकिन जब पं. नेहरू ने विपक्ष से जुड़े अम्बेडकर को अध्यक्ष बनाने की घोषणा की, तो औरों के साथ अंबेडकर भी चौंके थे। बाबा साहेब ने बहुमत दल कांग्रेस और सदन के नेता पं.नेहरू से कंधा मिला कर भारत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान गढ़ने का महान कार्य किया।
अंबेडकर हिंदू कोड बिल के आर्किटेक्ट थे
योगी जैसा जड़मति नेता ही नेहरू और कांग्रेस द्वारा अंबेडकर की प्रतिभा के उस सम्मान एवं संविधान सभा में उनके इस सर्वोतम सदुपयोग को या उनको कानून मंत्री बनाने के ऐतिहासिक महत्व को नकारने एवं सम्मान की जगह अपमान बताने का काम कर सकता है। अजय राय ने कहा कि कानून मंत्री अंबेडकर हिन्दू कोड बिल के आर्कीटेक्ट थे, जिसका हिन्दू महासभा, आरएसएस, रामराज्य परिषद् जैसे हिन्दूवादी संगठनों ने संसद से सड़क तक घोर विरोध कर उद्वेलन पैदा किया, जिसकी पृष्ठभूमि में सरकार ने कुछ दिनों के लिये बिल को स्थगित किया, जिससे उसके सकारात्मक पक्ष को लोगों को समझाया जा सके। बिल स्थगन से दुखी हो अंबेडकर ने मंत्री पद त्यागा था, जिसके मूल में था उन हिन्दूवादी संगठनों का विधेयक विरोध, जिनकी परंपरा योगीजी जीते हैं। गवाह है इतिहास कि हिन्दू कोड बिल का वह विरोध शांत होने पर पं. नेहरू ने हिन्दू कोड बिल पुनः पेश और पास कराया था।
जनसंघ ने अंबेडकर के विरुद्ध प्रत्याशी क्यों खड़ा किया
उन्होंने कहा कि जहां तक 1952 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकर के हारने का सवाल है, तो वह कांग्रेस से अलग पार्टी में थे और चुनाव में नेताओं के परस्पर सम्मान के बावजूद पार्टियां परस्पर चुनाव लड़ती ही हैं। कांग्रेस पार्टी ने तो एक अनाम सा प्रत्याशी खड़ा किया और उसके बाद वह राज्यसभा में चुने गये। अतः योगी कांग्रेस पर आरोप की जगह यह बतायें कि उनके लोग अंबेडकर का सम्मान करते थे, तो उस संसदीय चुनाव में भारतीय जनसंघ ने डा. अंबेडकर के विरुद्ध प्रत्याशी क्यों खड़ा किया और क्या उनके नेता तब डा.अंबेडकर के चुनाव प्रचार का काम कर रहे थे ? इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह की शर्मनाक बयानी के बचाव में भाजपा और योगी अपनी दलित और संविधान विरोधी सोच को छुपाने के लिए सरासर झूठ बोल रहे हैं ।
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योगी के शासनकाल में सबसे ज्यादा अपराध हुए
योगी दलितों की बात करते हैं मगर ये बताने में शर्माते हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार इनके शासन काल में अपराध बढ़ गए हैं । योगीजी जबान यह कहने में भी सिल जाती है कि भाजपा शासित प्रदेशों में दलित बहुत बुरे हाल में है। इनके घटिया मानसिकता वाले नेता कभी उनपर पेशाब कर उन्हें अपमानित करते है कभी उनको घोड़ी चढ़ने से रोकते हैं ।योगी की जबान यह कहने में भी कांपती है की अभी कुछ दिन पहले इनके नेता ४०० पार कर संविधान बदलने की बात कर रहे थे । सच तो ये है की ये झूठे-निर्लजों का दल है, जहां इनके मुख्य नेता से लेकर नीचे तक सब झूठ बोलने का कम्पटीशन कर रहे है। अमित शाह ने बाबा साहब का अपमान किया , पूरे देश ने देखा है। कांग्रेस संकल्पित है, अमित शाह को इस्तीफा देना होगा और देश से माफी मांगनी होगी ।
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