Punjab News: अमृतसर. लुधियाना के बूढ़े नाले को लेकर राजनीतिक बहसें होती रही हैं. इस नाले को साफ करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इसके बावजूद बूढ़े नाले की स्थिति जस की तस बनी हुई है. समाजसेवी संगठनों ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है. इन तमाम प्रयासों के बाद भी जब कोई समाधान नहीं निकला, तो अब राज्यसभा सांसद संत सीचेवाल ने इस संबंध में कमान संभाल ली है.

संत सीचेवाल ने नाले की दुर्दशा के लिए नगर निगम, डेयरियों और उद्योगों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने अधिकारियों की लापरवाही पर भी तीखी टिप्पणी की. उनका कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नाले की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. अधिकारियों की गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण गुरु नानक देव जी की पावन धरती और गुरुद्वारा गऊ घाट के आसपास के लोग गंदे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.

विचार करने की आवश्यकता: सीचेवाल

संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लुधियाना को बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री मिली हैं, लेकिन इसके बदले शहर ने लोगों को गंदगी दी है. राजस्थान के करीब ढाई करोड़ लोग इस गंदे पानी को पी रहे हैं, जिसके चलते वे गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. संत ने कहा कि यह मुद्दा लंबे समय से चिंता का विषय बना हुआ है, और अब इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.

उन्होंने यह भी कहा कि लुधियाना में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, लेकिन सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये प्लांट प्रभावी रूप से काम नहीं कर रहे हैं. राज्यसभा सांसद ने बताया कि सरकार द्वारा शुरू की गई ट्रीटमेंट प्लांट की योजना अभी तक अधूरी पड़ी है. इसके अलावा, डेयरियों और उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है.

संत सीचेवाल ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने विभिन्न संगठनों से सहयोग मांगा है. उनका कहना है कि गोबर और अन्य कचरे से बायोगैस बनाई जा सकती है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं निकला, तो इससे टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है. इसलिए इस मुद्दे पर मिलकर काम करने और स्थायी समाधान ढूंढ़ने की जरूरत है.

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