जिले की CBI की SPE मामलों की एसीजेएम कोर्ट ने 40 साल पहले राशन के कपड़े की कालाबाजारी करने वाले एक फर्म के तत्कालीन प्रबंधक 86 साल के अभियुक्त राधेश्याम अग्रवाल को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 2 साल की जेल व 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.
वहीं, कोर्ट ने एक अन्य अभियुक्त विष्णु कुमार अग्रवाल को दोषमुक्त कर दिया. कोर्ट की पीठासीन अधिकारी जया अग्रवाल ने कहा कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि समाज के किन्हीं लोगों द्वारा ऐसा कृत्य करने से कमजोर वर्ग के व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं और उन्हें दैनिक जरूरतों की वस्तुएं भी नहीं मिल पाती.
जानिए क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के तत्कालीन उपायुक्त ने एक दिसम्बर, 1988 को सीबीआई में एक लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी. इसमें कहा था कि प्रदेश में कंट्रोल कपड़ा एक आवश्यक वस्तु है और जनता में इसका वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनुसार किया जाता है. भारत सरकार द्वारा इस कपड़े पर उच्च सब्सिडी दिए जाने के चलते इस कपड़े को समाज के गरीब लोगों के लिए वितरित किया जाता है, लेकिन सूचना मिली कि एक फर्म चिरंजीलाल ने 1983 से 1985 के दौरान अन्य आरोपियों से मिलीभगत कर 1052 कंट्रोल कपड़े की गांठें उठा लीं. आरोपियों ने इसमें से 98 गांठों को कालाबाजारी से अन्य लोगों को बेच दिया. जिससे प्रदेश का गरीब तबका कंट्रोल कपड़े का उपयोग करने से वंचित रहा.
सीबीआई ने मामले में अनुसंधान कर राधेश्याम के अलावा चिरंजीलाल, मोहनलाल एवं विष्णु कुमार के खिलाफ 19 दिसम्बर, 1991 को चालान पेश किया था. केस की ट्रायल के दौरान चिरंजी लाल व मोहनलाल की मौत हो गई और कोर्ट ने इन दोनों के खिलाफ 19 फरवरी, 2004 व 7 सितंबर, 2006 को कार्रवाई ड्रॉप कर दी थी. अभियोजन की ओर से 39 गवाहों के बयान दर्ज कराए. कोर्ट ने राधेश्याम को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए जेल व जुर्माने की सजा सुनाई. वहीं विष्णु अग्रवाल के खिलाफ अपराध साबित नहीं होने पर उसे दोषमुक्त कर दिया.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें