विक्रम मिश्र, प्रयागराज. महाकुंभ की तैयारियों की सुस्त रफ्तार से साधु-संतों में भारी नाराजगी दिख रही है. एक तरफ जमीन आबंटन में अनियमितता तो दूसरी तरफ सुविधाओं की सुस्त रफ्तार महाकुंभ के भव्य आयोजन में दिक्कत पैदा कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयागराज और उत्तर प्रदेश के 76 वें ज़िले महाकुंभ नगर में लगातार दौरा कर अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे रहे हैं, लेकिन सन्तों की नाराजगी अब प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीर ला रही है.

18 दिन शेष और पहाड़ जितना काम

महाकुंभ के प्रथम शाही स्नान में महज 18 दिन ही बचे हैं, बावजूद इसके 31 पांटून पुल यानी पीपे के पुल में से सिर्फ 13 ही उपयोग के योग्य हैं. अधिकारियों के निर्देश के बावजूद काम की सुस्ती माहौल खराब कर रही है. इसके अलावा महाकुंभ परिक्षेत्र में बिजली और शुद्ध पेय जल की सुविधा के लिए तार और पाइप लाइन बिछा दी गई है, लेकिन अब तक उनमें पानी की सप्लाई और वाटर टैंक का निर्माण नहीं हो पाया है.

अखिलेश यादव ने साधा था निशाना

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया (X) पर पोस्ट करते हुए कहा था कि ‘प्रयागराज महाकुंभ 2025’ भाजपा सरकार के कुप्रबंधन का मॉडल बन गया है. पहले शासन यहां आकर नाराज़ होकर लखनऊ लौट गया, पीछे-पीछे प्रशासन दौड़ा-दौड़ा आया. हालात ये हैं कि सबसे ज़रूरी पुलिस व्यवस्था भी कुव्यवस्था की शिकार है. जिन एसएसपी साहब को कुंभ की सुरक्षा देखनी है, उन्हीं का कार्यालय बांस-बल्ली से आगे नहीं बढ़ा है. जन सुरक्षा व भीड़ नियंत्रण पर नज़र रखनेवाले वॉच टॉवर तक नहीं बने हैं और न ही जल पुसिल थाने बने हैं न पूरी तरह से सीसीटीवी लगे हैं.

आगे अखिलेश यादव ने कहा, अब जब हड़बड़ी में ये सब काम काग़ज़ पर पूरे दिखाए जाएंगे तो सुरक्षा के सवाल पर ही सवालिया निशान लग जाएगा. जनहित में हम शासन-प्रशासन से अपील करते हैं कि पूरी एहतियात बरतते हुए, सावधानी पूर्वक सारे लंबित काम पूरे किये जाएं, जिससे तीर्थयात्रियों व अन्य पर्यटकों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े. भाजपा सरकार लापरवाही भरा रवैया छोड़कर गंभीरता से काम करे.