धर्म डेस्क. बेल पत्र या बिल्बपत्र महादेव को अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में बेलपत्र का प्रयोग किया जाता है. घर में बेलपत्र का वृक्ष लगाने से अक्षय पुण्य मिलता है. स्वास्थ्य लाभ होता है और घर का वास्तुदोष दूर होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेल पत्र तोड़ने के भी नियम हैं. इन नियमों को तोड़ने से शुभ परिणाम मिलने की जगह आपको पाप लग सकता है.

जानिए भगवान शिव को बेल पत्र क्यों है अतिप्रिय

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती के पसीने की एक बूंद से बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. बेल वृक्ष की जड़ों में मां गिरिजा, तनों में माहेश्वरी और शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में मां पार्वती के विभिन्न रूपों का वास होता है. इसलिए महादेव को बेल पत्र और बेल के फल अत्यंत प्रिय हैं. कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला हलाहल का विश पिया था, तब देवताओं ने विश के प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें जल और बेल पत्र अर्पित किया था.

इन तिथियों को बेल पत्र तोड़ना है वर्जित

यह भी मान्यता है कि जिस घर में बेलपत्र का पेड़ होता है उस घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है. शिव पुराण के अनुसार उनमें समस्त तीर्थों का वास है. लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार अष्टमी, अमावस्या, पूर्णिमा तिथि और सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. महादेव को टूटा हुआ बेलपत्र नहीं चढ़ाया जा सकता, शास्त्रों में इसे वर्जित माना गया है.