दिल्ली में महिलाओं के लिए जीवन आसान हुआ है. वो मुफ्त में बस का सफर कर पा रही हैं. उन्हें काम पर जाने, खरीददारी करने, घूमने या रिश्तेदारों से मिलने जाने पर यात्रा खर्च नहीं उठाना पड़ता. उनके पर्स में अब कुछ बचत दिखता है. फ्री बस और पिंक टिकट ने उनकी जिन्दगी में बचत पैदा की है. वहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ऑनर्स के लिए भी परिस्थिति में फर्क आया है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट परमिट शुल्क से आजाद हुई है.

ऑटो, टैक्सी, मेट्रो चाहे जिस सुविधा को छोड़कर महिलाएं फ्री सफर बस में करती हैं, उन सुविधाओं पर होने वाले खर्च दरअसल वास्तविक बचत है.

फ्री बस से न्यूनतम बचत सालाना 1.24 लाख रुपये, समझिए कैसे?

एक महिला क्लर्क लाजवंती पहले मेट्रो से ड्यूटी आती-जाती थी, अब फ्री बस से. एक दिन में आने-जाने में उनकी बचत है 120 रुपये. 26 दिन में (अगर चार दिन की छुट्टी मान लें) बचत = 26X120= 3,120 रुपया/महिना. साल में बचत 37,442 रुपये. लाजवंती इस बचत का जिक्र कर काफी खुश नजर आती हैं. यही वो प्रत्यक्ष बचत है जो हर दिन सफर करने वाली महिला को फ्री बस सफर से हासिल हो रहा है.

गुरमीत कौर नर्स हैं. वह पहले ऑटो से आना-जाना करती थी, अब फ्री बस से जाती हैं. गुरमीत के लिए एक दिन में आने-जाने की बचत है करीब 400 रुपये. और महीने भर की बचत 26X400 =10,400 रुपया/महिना. सालाना बचत 1,24,800 रु. गुरमीत इस बचत को अपने परिवार के लिए बेशकीमती बताती हैं.

आर्किटेक्ट मानवी कभी मेट्रो, कभी ऑटो से आना-जाना करती रही हैं. अब बस से फ्री यात्रा के कारण उसकी मासिक बचत औसतन (10 दिन X 200) = 2000 + (10 दिन x 600) = 6000 = कुल 8000 रुपये/महिना है. सालाना बचत 96,000 रुपये. मानवी के लिए भी यह बचत मायने रखती है.   

हर वर्ग के लिए फ्री बस से यात्रा की बचत अलग-अलग हैं. फ्री बस ने हर महिला का पर्स बचाया है. हर घर पर इसका सकारात्मक असर हुआ है.

साल में 1500 करोड़ के बिके पिंक टिकट

दिल्ली सरकार के आंकड़े भी कहते हैं कि बीते पांच साल में 150 करोड़ पिंक टिकट बिकी हैं. इसका मतलब है दस रुपये पिंक टिकट के हिसाब से दिल्ली सरकार को 1500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ी है. यह सब्सिडी महिलाओं के घर में सीधे बचत के तौर पर निश्चित रूप से पहुंची है.

ग्रीन पीस के सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि परिवहन पर उनका मासिक खर्च कम हुआ है. जो बचत हुई हैं उसका इस्तेमाल 55 प्रतिशत महिलाओँ ने घरेलू खर्च में किया है. आधी महिलाओं ने इमर्जेंसी फंड में इस बचत को रखा है. जाहिर है जो कॉमन महिलाएं हैं उन्होंने इमर्जेंसी और घरेलू खर्च को मर्ज कर रखा होगा.

मोहल्ला बसें भी लाएंगी जीवन में बदलाव

दिल्ली में फ्री बस के कारण महिलाओं को बचत के साथ-साथ असुरक्षा की स्थिति से बचाव भी हुआ है. लेकिन, अब भी बस से उतरने के बाद काफी दूर तक महिलाओं को पैदल चलना पड़ता है अपने-अपने घर तक पहुंचने के लिए. यह यात्रा ऑड आवर्स में असुरक्षित हो जाती है. इस स्थिति में महिलाओँ का बचाव करने के लिए मोहल्ला बसों का परिचालन शुरू किया जा रहा है. 140 मोहल्ला बसें सड़क पर उतर चुकी हैं. एक बस में 36 यात्री सफर कर सकते हैं. एक बार में बसें 5040 यात्रियों को सफर करा सकती हैं. आने-जाने के एक ट्रिप पर यह क्षमता 10,080 यात्रियों को सफर कराने की है. सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक 16 घंटे में अगर 10 ट्रिप भी बसें चलीं तो 10,08,00 यात्री रोजाना सफर करेंगे. मोहल्ला बसों में महिलाओं का सफर टिकट की दर सामने आने के बाद पता चलेगा. लेकिन, सुरक्षा और सहूलियत तो साफ तौर पर दिख रहा है.

दिल्ली सरकार के बेड़े में ताजा जानकारी के अनुसार 7,683 बसें हैं. आवश्यकता 11 हजार बसों की हैं. क्षमता के अनुसार कम बसें चलने से यात्रियों की दिक्कतें बढ़ी हैं. दिल्ली सरकार का दावा है कि 2025 में सारी बसें सड़क पर आ जाएंगी और ये दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी.

पब्लिक ट्रांसोपोर्ट में हर वाहन चालकों को पांच साल में 30 हजार की बचत

दिल्ली में 2.5 लाख पब्लिक ट्रांसपोर्ट हैं. इनमें करीब एक लाख ऑटो हैं. इन वाहनों के लिए पहले लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस के लिए सालाना शुल्क 1416 रुपये देना पड़ता था जिसे माफ कर दिया गया है. ऑटो और टैक्सियों का ट्रैकिंग शुल्क 2019 में ही माफ कर दिया गया था. 2019 में ही ऑटो चालकों के लिए 200 रुपये का फिटनेस शुल्क खत्म कर दिया गया था. लेट फीस को घटाकर 20 रुपये करते हुए 30 रुपये की बचत करायी गयी थी. रजिस्ट्रेशन फीस हजार रुपये से घटाकर 300 रुपये कर दिया गया. डुप्लीटकेट आरसी में आरसी की फीस 500 रुपये से घटाकर 150 रुपये कर दी गयी. हायर पर्चेज एडिशन शुल्क 1500 रुपये से घटाकर 500 रुपये कर दिए गये. फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए 2500 रुपये का शुल्क भी घटाकर 500 रुपये कर दिया गया. ये फायदे 5500 रुपये से ज्यादा के हैं. बीते पांच साल में हुई बचत को जोड़े तो ये रकम 27500 रुपये होते हैं.

दिल्ली सरकार की परिवहन नीति ने आम लोगों और ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों की बड़ी बचत करायी है. इससे उनकी जिन्दगी में सुधार आया है. आत्मविश्वास बढ़ा है. शायद यही वजह है कि वर्तमान दिल्ली सरकार के लिए उनके मन में सॉफ्ट कॉर्नर भी है.