कौशांबी. यूं तो योगी सरकार यूपी में विकास का दावा करती है, लेकिन ये दावे झूठे और खोखले हैं. इनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. विकास के दावे केवल औऱ केवल कागजों तक ही सीमित हैं. अगर ऐसा न होता तो कड़ाके की ठंड के बीच अफसर से कंबल मांगने पहुंचे 2 दिव्यांग खाली हाथ वापस न लौटते. उन्हें योगी सरकार का अफसर कंबल देने की बजाय झूठी उम्मीद न देता. इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया है. जिसमें अफसर की संवेदहीनता दिखाई दी. इस वाक्ये न केवल अधिकारियों की पोल खोली है, बल्कि सरकार की भी पोल खुल गई है.

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बता दें कि पूरा मामला जिले के सिराथू तहसील के समाधान दिवस का है. जहां 2 दिव्यांग सरकार से उम्मीदें लगाकर कंबल मांगने के लिए पहुंचे थे. नेत्रहीन लवकुश मौर्या ने वहां मौजूद एक अधिकारी से कहा, मौर्या हैं साहेब, हम अंधे हैं. दोनों आंखें खराब हैं, सौ परसेंट अंधे हैं. हमारे कागज देख लीजिए. हमको कंबल चाहिए साहेब. इस दौरान लवकुश मौर्या के साथ उनका साथी भी साथ में था.

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वहीं अधिकारी ने लवकुश मौर्य की बात सुनी और पूछा, आप दोनों लोग अंधे हैं? जिसका जबाव देते हुए लवकुश ने कहा, हां साहेब, आप कागज देख लीजिए. अंधे के कागज हैं. फिर अधिकारी ने कहा, तो अभी तक आपको मिला नहीं कंबल. जिस पर जबाव दिया कि अभी कहां साहेब, लेने ही नहीं आए. जाड़ा के मारे हिम्मत ही न पड़ रही. एक दूसरे आदमी ने हमको कोट दिया तो पहिनते हैं साहेब.

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फिर अधिकारी ने कहा, कंबल अब तो बचे नहीं है अब, कंबल आए थे बंट गए हैं. ये बात सुनते ही लवकुश ने बड़ी मार्मिक तरीके से कहा, नहीं साहेब, मेरे लिए तो जरूर दीजिए एक. जिस पर अधिकारी का जवाब आया कि अरे अब होगा तब!! अभी आएंगे न, तब आपको दिलवाएंगे. जिसके बाद फिर से लवकुश ने कहा, अरे साहेब जाड़े में बहुत परेशान हैं. उसके बाद अधिकारी मोबाइल चलाने में मशगूल हो गए. उन्होंने ये जरूरत बिल्कुल नहीं समझी कि दाएं-बाएं करके उन जरूरतमंद दिव्यांगों को कंबल दिला सकें. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर कंबल खत्म हो गया तो अब तक मंगाया क्यों नहीं गया? क्या ठंड खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद कंबल मंगाएंगे?