कहानी कुंभ की:कैसे हुई महाकुंभ की शुरुआत, जानिये पौराणिक कथा

कुंभ का मतलब होता है घड़ा, कुंभ मेले की शुरुआत एक पौराणिक कहानी से हुई है.

एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ.

  ऋषि दुर्वासा ने देवताओं को श्राप दिया था, जिससे वे कमजोर हो गए. राक्षसों ने इसका फायदा उठाकर देवताओं को हरा दिया.

 जिसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु के पास मदद मांगने गए.

 भगवान विष्णु ने कहा कि अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन करना होगा.

 अमृत, यानी ऐसा अमर पेय जो पीने से देवता फिर से ताकतवर हो जाएंगे

 अब देवताओं ने राक्षसों को मना लिया कि चलो, मिलकर समुद्र मंथन करते हैं, राक्षस भी अमृत के लालच में तैयार हो गए.

 जैसे ही अमृत कलश निकला, राक्षस और देवता दोनों उसे पाने के लिए झगड़ने लगे.

 इस बीच भगवान इंद्र के बेटे जयंत ने अमृत कलश उठाया और वहां से भाग गए.

जयंत अमृत कलश को लेकर भागते रहे और इसी दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर गिर गईं.

 इसलिए इन जगहों को पवित्र माना जाता है और यहां कुंभ मेले का आयोजन होता है.

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