Supreme court On BPSC Paper Leak: बीपीएससी पेपर लीक मामले में परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पिछले 30 दिन से प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 जनवरी) को बीपीएससी पेपर लीक मामले की सुनवाई करने से इंकार कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna), जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा में कथित अनियमितताओं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई से संबंधित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता से अनुच्छेद 226 के अधिकार क्षेत्र के तहत पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है।

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सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। हालांकि, याचिकाकर्ता ने कहा, ‘यह पेपर लीक एक दैनिक मामला है।

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अब सवाल उठ रहा है कि पेपर लीक का इतना गंभीर मुद्दा होने के बावजूद भी CJI संजीव खन्ना ने इसे सुनसे से इंकार क्यों कर दिया। जबकि पिछले दिनों NEET और NET पेपर लीक मामले को देश के शीर्ष न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसपर सुनवाई की थी। साथ ही सरकार और सिस्टम की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए थे। ऐेसे में हम यहां जानने की कोशिश करते हैं कि शीर्ष न्यायालय ने BPSC अभ्यर्थियों की याचिका को सुनने लायक भी क्यों नहीं समजा। जबकि दूसरी तरफ बीपीएससी पेपर लीक मामले को लेकर प्रदर्शन करे रहे अभ्यर्थियों पर लगातार पुलिसिया लाठी बरस रही हैं। साथ ही राजनीति भी जमकर हो रही है।

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पहले जानिए क्या है पूरा मामलाः-

दरअसल बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को हुई थी। परीक्षा के दौरान बापू परीक्षा केंद्र पर अभ्यर्थियों ने पेपर लीक और धांधली का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। इसके चलते इस परीक्षा केंद्र पर हुई परीक्षा रद्द कर दी गई थी।

BPSC ने 4 जनवरी को पटना के 22 केंद्रों पर दोबारा परीक्षा करवाई। इसके लिए 12012 अभ्यर्थी योग्य थे। इनमें से 8111 ने एडमिट कार्ड डाउनलोड किया। लेकिन परीक्षा में सिर्फ 5943 अभ्यर्थी ही बैठे। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे थे। वह पटना के गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

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BPSC की प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग

परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर BPSC अभ्यर्थियों ने कई दिन तक प्रदर्शन किया। हालांकि विभाग ने परीक्षा को रद्द करने से इंकार कर दिया। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बीपीएससी के बाहर प्रदर्शन किया। वहीं धरने पर बैठ गए। इसके बाद आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट नाम की संस्था ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।इसके साथ ही परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की थी।

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CJI संजीव खन्ना पीठ ने क्या सुनाया फैसला

मामले की सुनवाई 7 जनवरी को CJI संजीव खन्ना की पीठ ने किया। खन्ना ने परीक्षा में कथित अनियमितताओं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई से संबंधित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता से अनुच्छेद 226 के अधिकार क्षेत्र के तहत पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है।

हालांकि सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, ‘हम आपकी भावनाओं को समझते हैं… लेकिन हम शुरुआती अदालत नहीं हो सकते हैं और हमें लगता है कि यह (न्यायिक प्रक्रिया की दृष्टि से) उचित और त्वरित सुनवाई की दृष्टि से भी उपयुक्त होगा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।

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याचिकाकर्ता के वकील का तर्क

याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने कोर्ट से याचिका पर विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि देश ने उन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बिहार पुलिस की बर्बर कार्रवाई देखी है, जिन्होंने बीपीएससी की विवादास्पद परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि जिस स्थान पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था। वह पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास के पास ही था और इस पर स्वत: संज्ञान लिया जा सकता था। बिहार पुलिस ने 13 दिसंबर, 2024 को आयोजित बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को नियंत्रित करने के लिए कथित तौर पर बल प्रयोग किया।

हालांकि याचिकाकर्ता के वकील के दावे को पीठ ने दमदार नहीं माना। उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने की नसीहत दी।

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