दिल्ली सिंख दंगो मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार(sajjan kumar) की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. 21 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत 1984 दंगों में कांग्रेस नेता के खिलाफ हत्या के मामले में फैसला सुना सकती है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा को बुधवार को आदेश पारित करना था, जो दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में 2 लोगों की कथित हत्या से संबंधित था, लेकिन न्यायाधीश ने कहा, सुनवाई की ‘अगली तारीख 21 जनवरी तय की जाती है.’
फिलहाल सज्जन कुमार, जो फिलहाल तिहाड़ केंद्रीय जेल में बंद हैं, एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश हुए. 1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया. शुरू में मामला पंजाबी बाग थाने में दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में जांच को एक विशेष जांच दल ने संभाला. 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप लगाए और उनके खिलाफ मामला ‘प्रथम दृष्टया’ सही पाया.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि घातक हथियारों से लैस भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए सिखों की संपत्तियों को नष्ट कर दिया, लूटपाट की और शिकायतकर्ता जसवंत सिंह की पत्नी और उनके बेटे की हत्या कर दी, साथ ही सामान लूटकर उनके घर को आग लगा दी.
कुमार को कांग्रेस नेता पर मुकदमा चलाते हुए न्यायालय को ‘प्रथम दृष्टया यह मानने के लिए पर्याप्त सबूत मिले कि वह न केवल हमले में भागीदार थे, बल्कि भीड़ का नेतृत्व भी किया था.’
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग के सुझाव पर 2005 में सज्जन कुमार के खिलाफ मामला दायर किया गया था, जो 1984 के सिख विरोधी दंगों में पालम के राजनगर में एक ही परिवार के केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह को जान से मारने का दोषी पाया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था. 2005 में न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग ने आरोपी के खिलाफ मामला दायर किया था. 2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, लेकिन बलवान खोखर, महेंद्र यादव, किशन खोखर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया था. CBI ने सज्जन कुमार के खिलाफ अपील की थी कि वह भीड़ को उकसाने वाला था.
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