Lalluram Health Desk. जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ ल्यूबेक के शोधकर्ताओं ने एक नई खोज में दावा किया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से स्तन कैंसर की पहचान की सटीकता में 17 प्रतिशत से अधिक का सुधार हुआ है. यह अध्ययन अब तक की सबसे बड़ी AI-आधारित स्तन कैंसर स्क्रीनिंग पर आधारित है.

अध्ययन की मुख्य बातें
शोध दल: 119 रेडियोलॉजिस्ट
भागीदार महिलाएं: 4,60,000 (50-69 आयु वर्ग)
समयावधि: 2021 से 2023

परिणाम:
AI-समर्थित स्क्रीनिंग में कैंसर का पता लगाने की दर 6.7 प्रति 1,000 स्क्रीनिंग रही, जो पारंपरिक तरीकों से 17.6% अधिक है.
बायोप्सी के मामलों में, AI-आधारित स्क्रीनिंग में 65% मामलों में कैंसर की पुष्टि हुई, जबकि पारंपरिक तरीकों से यह दर 59% थी. AI ने स्क्रीनिंग पढ़ने का समय 43% तक कम कर दिया, बिना सटीकता पर समझौता किए.

अध्ययन का महत्व
स्तन कैंसर की प्रारंभिक पहचान से जान बचाई जा सकती है. परंपरागत स्क्रीनिंग प्रक्रिया में रेडियोलॉजिस्ट द्वारा छवियों की समीक्षा की जाती है, जो समय लेने वाली और त्रुटिपूर्ण हो सकती है. AI के उपयोग से रेडियोलॉजिस्ट अब संदिग्ध मामलों की बेहतर पहचान कर सकते हैं और मिस्ड डिटेक्शन के मामलों को कम कर सकते हैं.

कैंसर डिटेक्शन
AI ने कैंसर के वास्तविक मामलों की पहचान की सटीकता में सुधार किया और झूठे अलार्म (फॉल्स पॉजिटिव) को कम किया.

वर्कलोड में कमी
AI ने 43% तेज स्क्रीनिंग पढ़ने का समय सुनिश्चित किया, जिससे रेडियोलॉजिस्ट गंभीर मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सके.

AI की भूमिका
AI का उपयोग रेडियोलॉजिस्ट की सहायता के लिए किया गया, ताकि स्क्रीनिंग को तेज और सटीक बनाया जा सके. AI ने सामान्य और संदिग्ध मामलों को वर्गीकृत किया और संभावित चूक के लिए अलर्ट जारी किए. यह तकनीक मरीजों के लिए स्क्रीनिंग को कम तनावपूर्ण और अधिक कुशल बनाती है.

अध्ययन का निष्कर्ष
AI-समर्थित स्क्रीनिंग से न केवल कैंसर की पहचान में सुधार हुआ, बल्कि रेडियोलॉजिस्ट की कमी और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की दक्षता में भी मदद मिली.

यह अध्ययन “Nationwide real-world implementation of AI for cancer detection in population-based mammography screening” शीर्षक से Nature Medicine में प्रकाशित हुआ है.