महाकुंभ 2025, डेस्क. 13 साल की बच्ची, जो सिर्फ कुंभ मेले में घूमने के लिए आई थी. माता-पिता उसे कुंभ का मेला दिखा रहे थे. लेकिन बच्ची को यहां का वातावरण पसंद नहीं आया. तो वो यहां से भागने की सोचने लगी. उसने अपने माता को पिता को भी कहा कि यहां से वापस चलें. लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वही बच्ची जो यहां से भाग रही थी, अब यहीं की होकर रह गई. अखाड़े का माहौल पसंद ना करने वाली बच्ची को यही सब रास आने लगा. लल्लूराम डॉट कॉम के महाकुंभ महाकवरेज की इस सीरिज में हम आपको एक एसा वाकया बता रहे हैं जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

एक समय था जब ये 13 साल की राखी सिंह धाकरे साधु बनना ही नहीं चाहती थी. कुंभ मेले से भागना चाहती थी. उसे यहां का वातावरण तक नहीं भाता था. लेकिन एक दिन अचानक वह जिद पर अड़ गई कि उसे अब यहीं रहना है. उनकी इस जिद के आगे उसके माता-पिता को भी घुटने टेकने पड़े.

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अखाड़े की गंध तक पसंद नहीं करती थीं राखी

दरअसल, आगरा के एक पेठा कारोबारी हैं जो अपने परिवार के साथ कुंभ मेले में आए हुए हैं. उनके साथ उनकी 13 साल की बेटी भी थी. जो 9वीं में पढ़ती है. वो यहां पर आकर यहीं की हो गई. उसने जिद पकड़ ली कि उसे यहां से वापस जाना ही नहीं है. कहने लगी कि उसका कोई परिवार नहीं है, कोई भाई-बहन नहीं. वो बस अखाड़े में रहकर अपना जीवन बीताना चाहती है. ये हैरानी की बात है कि जिस लड़की को अखाड़े की गंध और यहां के वातावरण से नफरत थी, उसके मन में अचानक वैराग्य जाग गया.

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आईएएस बनना चाहती थीं राखी

राखी की बात सुनकर माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने बेटी को समझाने की लाख कोशिश की. लेकिन वो नहीं मानी. उसने तो ठान रखी थी कि अब तो सारा जीवन सन्यासी की तरह जीना है. बेटी के दृढ़ निश्चय के आगे मां-बाप की मनुहार काम नहीं आई. जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को जूना अखाड़े को दान करने का कठोर निर्णय लिया. राखी की मां के मुताबिक वो इस माहौल को कभी पसंद नहीं करती थी. शादी नहीं करने की बात कहती थी. आईएएस बनना चाहती थी. लेकिन उसके इस निश्चय ने परिवार को हिलाकर रख दिया.

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करेंगी अपना पिंडदान

जूना अखाड़े में दीक्षा लेने के बाद बच्ची अब राखी से ‘गौरी गिरी महारानी’ बन गई हैं. अब 19 जनवरी को वो अपना पिंडदान करेंगी. जिसके बाद वे सांसारिक पहचान का पूरी तरह त्याग कर देंगी. इसके बाद वो वास्तव में सन्यासी जीवन में प्रवेश करेंगी. बता दें कि राखी के माता-पिता पिछले 4 सालों से जूना अखाड़े से जुड़े रहे हैं. वो अक्सर यहां जाया करते थे. लेकिन बेटी को ये सब पसंद नहीं आता था. पर अब वही बेटी इसी अखाड़े की होकर रह गई है.