Totaka: गुंजा जिसे रत्ती भी कहा जाता है, दुर्लभ वनस्पतियों में शामिल है. ये ऐसी बेल है, जिसकी जड़ से लेकर फल-पत्ती सभी का महत्व है. इसका उपयोग आयुर्वेद से लेकर धार्मिक और तांत्रिक क्रिया तक में किया जाता है. इसकी जड़ें दीर्घजीवी होती हैं. इसके फरवरी और मार्च माह तक फूल झड़ जाते हैं.
मार्च महीने के बाद इसकी लता सूखने लगती है और मई-जून के महीने में इसकी लता पूरी तरह सूख जाती है, लेकिन जैसे ही बारिश आती है, पेड़ हरा हो जाता है. अगस्त माह तक इसकी लता तैयार होकर आसपास के पेड़ों पर चढ़ जाती है. अक्टूबर और दिसंबर के महीने में लता फूलों से लद जाती है.
गुंजा के टोटके (Totaka)
कुछ हिंदू परिवारों में दूल्हा शादी के समय लाल गुुंजा चूड़ी पहनाया जाता है. ऐसा करने से उसे किसी की नजर नहीं लगती और वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है.
आदिवासी महिलाएं इसे गले में हार के रूप में पहनती हैं. भगवान कृष्ण भी गुंजा माला का प्रयोग करते थे.
गुंजा को अपने पास रखकर कोर्ट-कचहरी या किसी उच्च अधिकारी के समक्ष जाने से कार्य सिद्ध होता है. मान-सम्मान मिलता है.
गुंजा को चंदन की तरह सिर पर लगाने से कार्य सिद्ध होता है. आने वाली परेशानी पहले ही दूर हो जाती है.
यदि रवि पुष्य नक्षत्र में गुंजा की जड़ ताबीज में बंद करके किसी स्त्री की कमर में बांधा जाए तो पुत्र की प्राप्ति की संभावना होती है.
बाजार में विभिन्न प्रकार की गुंजा के बीच उपलब्ध हैं. जैसे, लाल (खूनी गुंजा), सफेद गुंजा और गहरी गुंजा. लक्ष्मी प्राप्ति का कोई भी प्रयोग यदि गुंजा वृक्ष के नीचे बैठकर किया जाए तो शीघ्र सफलता मिलती है.
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