रायपुर. छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जनजाति कल्याण के लिए कई प्रभावशाली और महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास को बढ़ावा देना है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और जनजातीय परंपराओं के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ को राज्य के मुखिया विष्णु देव साय ने एक साल में ही हर तरह से संवारने का काम किया है। प्रदेश की जनजातियां न केवल प्रदेश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं, बल्कि इनके योगदान ने राज्य के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विकास को भी नई दिशा मिली है।

छत्तीसगढ़ की साय सरकार में हर साल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में जमुई बिहार से छत्तीसगढ़ के पीएम जनमन योजना के तहत् लाभान्वित हितग्राहीयों के साथ चर्चा करते हुए इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मुख्य आतिथ्य और आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम की अध्यक्षता में राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित 14 और 15 नवंबर को दो दिवसीय राज्य स्तरीय भव्य कार्यक्रम के बाद से ये दिन आदिवसी समाज के योगदान, परंपराओं और उनकी गौरवशाली विरासत का सम्मान करने का दिन बना हुआ है।

आदिवासी समाज के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती पर जनजातीय समुदाय के त्याग और बलिदान को याद करते हुए मनाया जा रहा है जनजातीय गौरव दिवस जिसका उद्देश्य आदिवासी समाज के योगदान और उनकी संस्कृति को मुख्यधारा में लाना है। छत्तीसगढ़ में गोंड, हल्बा, बैगा, उरांव, कंवर, भतरा, मुरिया, और अन्य जनजातियों की पारंपरिक कला, नृत्य और संगीत की प्रसिद्ध परम्परा छत्तीसगढ़ की एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है। ये जनजातियां पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता और सामुदायिक जीवन का अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।

जनजातीय गौरव दिवस छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार की दूरदर्शिता का परिचायक है क्यों कि ये दिन जनजातीय समाज के संघर्ष और उनके योगदान को नई पीढ़ी तक सम्प्रेषित करने में सफल हो रहा है साथ ही उन्हें अपनी संस्कृति पर गर्व करने के लिए प्रेरित कर रहा है। जनजातीय गौरव दिवस न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणादायक पहल है। इस दिन के मना कर राज्य के मुखिया ने हमें हमारी विविधता की ताकत का अहसास कराया है। राज्य स्तरीय कार्यक्रम के तहत दो दिनों तक कई विषयों पर संगोष्ठी, जनजातीय चित्रकला प्रदर्शनी के साथ-साथ देश के 21 राज्यों के 28 आदिवासी नर्तक दलों द्वारा मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती के अवसर पर रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में दो दिवसीय जनजातीय गौरव दिवस एवं अंतर्राज्यीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव का देवगुड़ी में पूजा-अर्चना और दीप प्रज्जवलन कर जनजातीय गौरव दिवस का शुभारंभ किया था।

बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और जनजातीय समाज को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया। उन्होंने ‘उलगुलान’ नामक आंदोलन चलाया, जो स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम हिस्सा था। उनकी जीवन गाथा प्रेरणा से भरी हुई है और ये सिखाती है कि किस प्रकार सीमित संसाधनों के बावजूद दृढ़ संकल्प और साहस से बदलाव लाया जा सकता है। भगवान बिरसा मुंडा सहित शहीद वीर नारायण सिंह, शहीद गेंद सिंह, गुण्डाधुर को नमन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा करके जनजातीय समुदाय का गौरव बढ़ाया है।

जनजातीय गौरव दिवस के लिए छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया। छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव दिवस की भव्य शुरूआत 13 नवम्बर से जशपुर से हो चुकी है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भी देश की 10 करोड़ जनजातीय आबादी के कल्याण के लिए पृथक मंत्रालय बनाया था । केन्द्र सरकार द्वारा आदिवासी गांवों के समग्र विकास के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुरू किया गया है इसके लिए 80 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान है। इससे छत्तीसगढ़ राज्य के 6,691 आदिवासी गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास और जनजातीय समुदाय के कल्याण के काम होंगे।छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने जनजातीय समाज के उत्थान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। साथ ही, जनजातीय गौरव दिवस जैसे आयोजन उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने और उनकी पहचान को संरक्षित करने में सहायक हैं।

आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने इस कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में कहा था कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में समाज के सभी वर्गाें के बेहतरी के काम तेजी से कराए जा रहे हैं।”इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरूण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, स्वास्थ्य श्याम बिहारी जायसवाल, खेल मंत्री टंक राम वर्मा, राज्यसभा सांसद देवेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, विधायक पुरंदर मिश्रा, गुरू खुशवंत सिंह साहब, मोती लाल साहू, इंद्र कुमार साहू, अनुज शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग सोनमणि बोरा, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद सहित अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

भारत का हृदय है छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी समुदायों की है, जो इस क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना में एक अनूठी भूमिका निभाते हैं। जनजातीय गौरव दिवस इस सांस्कृतिक धरोहर और आदिवासी समाज के योगदान को सम्मानित करने और संरक्षित करने का एक विशेष अवसर है। जनजातीय गौरव दिवस आदिवासी समाज के इतिहास और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का एक प्रतीक है। आदिवासी समाज ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह दिवस न केवल उनके संघर्षों को याद करता है, बल्कि उनकी परंपराओं, कला, नृत्य, संगीत और रीति-रिवाजों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का एक मंच भी प्रदान करता है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनजातीय गौरव दिवस मनाने का उद्देश्य आदिवासी समाज के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और नई पीढ़ी को उनके गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित कराना है। यह दिन उन आदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने अपनी वीरता, त्याग और नेतृत्व से समाज को दिशा दी।

आदिवासी हस्तशिल्प और कला को बाजार तक पहुंचाने के लिए सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ जनजातीय गौरव दिवस आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास और उनकी संस्कृति को सहेजने और सम्मान देने का प्रतीक है। यह दिवस न केवल आदिवासी समुदाय के लिए गर्व का अवसर है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा भी है कि कैसे विभिन्न संस्कृतियों के समन्वय से एक समृद्ध और एकजुट समाज का निर्माण किया जा सकता है। इस पहल के लिए राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय धन्यवाद के पात्र हैं।

सुशासन और जनजाति कल्याण के कार्यक्रम

  1. शिक्षा और कौशल विकास

      आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं।

      विशेष कोचिंग और ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना।

      जनजातीय क्षेत्रों में स्कूल और कॉलेजों का निर्माण।

      2. स्वास्थ्य और पोषण

        आदिवासी इलाकों में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों की सुविधा।

        कुपोषण से निपटने के लिए पोषण योजनाएं और आंगनवाड़ी केंद्रों को मजबूत बनाना।

        मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन।

        3. आर्थिक सशक्तिकरण

          आदिवासी युवाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं।

          वन उत्पादों (जैसे महुआ, तेंदू पत्ता) के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी।

          महिलाओं के लिए स्व-सहायता समूहों को बढ़ावा देना।

          4. सांस्कृतिक संरक्षण

            आदिवासी संस्कृति, कला और परंपराओं को प्रोत्साहित करना।

            स्थानीय त्योहारों और मेलों को राज्य स्तर पर मान्यता देना।

            5 . संचार और आधारभूत ढांचा

              दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में सड़क, बिजली और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना।

              डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास।

              6. वन अधिकार और भूमि सुधार

                वनवासियों को उनके वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकार देना।

                भूमि पट्टों का वितरण और विवादों का समाधान।

                नेतृत्व और प्रभाव

                मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में इन योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। उनका उद्देश्य है कि आदिवासी समाज आत्मनिर्भर बने और मुख्यधारा में जुड़कर राज्य और देश के विकास में योगदान दे। इन सभी कार्यक्रमों से स्पष्ट होता है कि आदिवासी समुदाय का समग्र विकास उनकी प्राथमिकता में है और राज्य में सुशासन की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।