विक्रम मिश्र, महाकुम्भ नगर। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने एक कार्यक्रम में खुलकर बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने सनातनियो को अलग-अलग पंथ और जाति में बटने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि महाकुम्भ के घाट पर कौन किसकी जाति पूछता है। महाकुम्भ का महापर्व है, कौन किससे जाति और उसका पंथ पूछता है? कोई भी नहीं न, जिस घाट पर महंत, पंडित, महामंडलेश्वर और साधु संत सन्यासी, नागा सब आस्था की डुबकी लगाते है तो उसी घाट पर दलित व्यक्ति भी तो स्नान करता है। हमारे सनातन में सब एक है और एक होकर ही रहना होगा।
अविमुक्तेश्वरानंद बोले- हम व्यवस्था के लिए नहीं आए
शंकराचार्य ने महाकुंभ में की गई व्यवस्था को लेकर कहा कि हम यहां व्यस्था के लिए नहीं आए है। यदि कोई साधु-संत या बाबा मेला स्थल में किसी प्रकार की व्यवस्था मांगता है तो वह इस स्थान का महत्व नहीं समझता। हम यहां ईश्वर की अराधना करने आए है। उनकी तपस्या में लीन होने के लिए आए है। ‘जाही विधि राखे राम ताहि विधि रहिए’ इसी के आधार पर हम सारा काम करते है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनन्द ने हर सनातनियो को एक धागे में पिरोकर रहने की अपील भी की है।
गंगा और यमुना जल को लेकर दिया बड़ा बयान
अविमुक्तेश्वरनन्द ने गंगा और यमुना जल को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को सबसे पहले गंगा और यमुना के जल की जांच करनी चाहिए है। वैज्ञानिक जांच के आधार पर यह क्लियर करना चाहिए कि गंगा और यमुना का जल स्नान करने लायक है या नहीं। यदि जांच में पाया गया कि जल स्नान योग्य है तो इसके आगे सारी व्यवस्था गौण है। इसके बाद हमारी किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं होगी। बता दें कि आज से महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। देश और विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
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