मुंबई. विश्वकप क्रिकेट में पाकिस्तान के साथ होने वाले भारत के मैच को लेकर भले ही बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया) का रुख नरम नजर आ रहा हो, लेकिन आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान को बीसीसीआई को सबक सिखाने के लिए बीसीसीआई ने ऐसी रणनीति बनाई थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय मैचों से महरुम पाकिस्तान में बचा-खुचा क्रिकेट का खेल भी खत्म हो जाता.
सूत्रों की माने तो बीसीसीआई आने वाले दिनों में आईपीएल में शामिल होने वाले विदेशी खिलाड़ियों के लिए यह नियम बनाने जा रहा था कि वे या तो आईपीएल (इंडियन प्रीमियम लीग) चुने या फिर पीएसएल (पाकिस्तान सुपर लीग). इस नीति से टी-20 के दोनों प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाले विदेशी खिलाड़ियों के लिए एक ही टूर्मानेंट में खेलना मजबूरी हो जाती.
स्वाभाविक है कि पैसों के साथ-साथ नाम और शोहरत के लिए खेलने वाले विदेशी खिलाड़ियों को आईपीएल में फ्रेंचाइसी टीमों से मिलने वाली भारी-भरकम रकम को छोड़कर पीएसएल में खेलना हर लिहाज से काफी घाटे का सौदा होता. इसका सीधा असर पीएसएल की फ्रेंचाइसी टीमों पर पड़ेगा, जिनके लिए ऐसी परिस्थितियों में विदेशी खिलाड़ियों को बरकरार रखने के लिए नामुमकिन होगा.
गौरतलब है कि एबी डी विलियर्स, ड्वेन ब्रावो, सुनील नाराएन, कार्लोस बार्थवेट, कोलिन इन्ग्राम और एंड्रूय रसेल ऐसे नाम है, जो आईपीएल के साथ-साथ पीएसएल में खेलते हैं. ऐसे में इन खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में विदेशी धरती पर खेले जाने वाले पीएसएल के मैच को देखऩे के लिए दर्शक नहीं मिलते और पीएसएल खुद के भारी-भरकम खर्च के तले भरभराकर गिर जाता. इसका असर केवल फ्रेंचाइसी पर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के उन नौजवान खिलाड़ियों पर भी होता, जिन्हें विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने और विदेशी कोच के मार्गदर्शन में सीखने का एक बड़ा मौका पीएसएल के जरिए मिलता है.
लेकिन बीसीसीआई के कर्ता-धर्ता – विनोद राय, डायना इडुलजीऔर लेफ्टि. जनरल रवि थोगड़े और सीईओ राहुल जौहरी ने इस विषय पर चर्चा के बाद निर्णय लिया कि विदेश खिलाड़ियों पर इस तरह की बंदिश लगाना मुश्किल होगा, क्योंकि खिलाड़िय़ों को बीसीसीआई नहीं फ्रैंचाइसी खरीदते हैं, लिहाजा निर्णय को टाल दिया गया.