रायपुर। पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ, संत शादाराम साहिब जी द्वारा 315 वर्ष पूर्व स्थापित, न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मानवता, शांति, और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। सतगुरु संत गोबिंदराम साहिब जी ने 40 वर्ष पूर्व भारत और पाकिस्तान के बीच प्रोटोकॉल एग्रीमेंट करवाया था, जिससे दोनों देशों के हिंदू तीर्थयात्रियों के जत्थों का सिलसिला निरंतर जारी है। इस ऐतिहासिक प्रयास ने श्रद्धालुओं को सिंध के पवित्र तीर्थ स्थल मंदिरों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. संतश्री युधिष्ठिरलाल महाराज जी के आशीर्वाद और नेतृत्व में 84 श्रद्धालुओं का जत्था 5 दिसंबर 2025 को वाघा बॉर्डर पार कर पाकिस्तान स्थित पवित्र तीर्थ स्थल मंदिरों की यात्रा पर रवाना हुआ। वाघा बॉर्डर पर वक्फ बोर्ड, हिंदू काउंसिल ऑफ पाकिस्तान, शदाणी सेवा मंडल, शदाणी युवा मंडल, और हजारों श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा और जय शदाराम के नारों के साथ जत्थे का भव्य स्वागत किया। पूज्य संतश्री युधिष्ठिरलाल महाराज जी के स्वागत में श्रद्धालुओं का जोश और उल्लास देखने लायक था।

यात्रा के मुख्य पड़ाव और कार्यक्रम

हयात पिताफी (6-8 जनवरी): डॉ. संत युधिष्ठिरलाल महाराज जी के आगमन पर शदाणी महिला मंडल और कन्या मंडल ने फूलों की रंगोली बनाकर स्वागत किया। जय शदाराम और धूणी वाले महादेव के नारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
इस दौरान हवन, यज्ञ, भागवत गीता पाठ, रामायण कथा, और भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ। 51 उपनयन संस्कार और 11 शुभ विवाह संपन्न हुए। श्रद्धालुओं के लिए एक विशाल मेडिकल कैंप का आयोजन भी किया गया, जिससे हजारों लोगों को लाभ मिला।

अमर शाहिद संत कंवरराम साहिब जी की देवरी और खानपुर महेर (9 जनवरी): जत्थे ने अमर शाहिद संत कंवरराम साहिब जी की देवरी में दर्शन कर उन्हें दर्शन प्राप्त किए। इसके बाद खानपुर महर में परम पूजनीय माता साहिब हसी देवी जी के जन्मस्थान पर भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए।

योग माता मंदिर अदलपुर और घोटकी (10 जनवरी): अदलपुर के योग माता मंदिर में श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अर्चना की। घोटकी में श्री कृष्ण आनंद धाम और पूज्य शदाणी दरबार में जत्थे और पूज्य संत जी का भव्य स्वागत हुआ।

पन्नों अकील, अरोड़, और साधुबेला (11 जनवरी): श्रद्धालुओं ने माता कालका देवी मंदिर में दर्शन किए और साधुबेला तीर्थ में सिंधु नदी की पूजा की। यहां विश्व शांति और मानवता के लिए विशेष प्रार्थना की गई।

वेद रचना स्थल माथेलो साहिब (12 जनवरी): माथेलो साहिब में संत शादाराम साहिब जी की तपोभूमि पर भजन-कीर्तन, ज्ञान चर्चा, और आशादीवार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यहां शिव अवतारी संत शादाराम जी की चतुर्दशी के उपलक्ष्य में विशेष पूजा और कार्यक्रम आयोजित हुए।

13, 14, और 15 जनवरी: तीर्थयात्रियों ने मीरपुर माथेलो, ननकाना साहिब, और पंजा साहिब के पवित्र स्थलों में दर्शन किया। इन स्थलों पर विशेष पूजा, भजन, और मानवता के लिए प्रार्थना की जाएगी।

15 जनवरी को जत्था भारत वापसी होगी

मंत्रियों के संदेश

  1. बांगुल खान महेर (चेयरमैन, डिस्ट्रिक्ट काउंसिल घोटकी): शदाणी दरबार केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रेम, शांति, और सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण है। संत युधिष्ठिरलाल जी के प्रयासों से सिंधवासियों को जो प्रसन्नता और आशीर्वाद मिला है, वह अयोध्या में राम के आगमन जैसी अनुभूति देता है। जब संत युधिष्ठिरलाल जी का कार्यक्रम स्थगित हुआ था, तो हयात पिताफी में भक्तों के चेहरे मायूस हो गए थे। लेकिन आज उनका आगमन देखकर वही चेहरे अयोध्या के राम आगमन की तरह चमक रहे हैं। रायपुर के राम के आगमन से सिंधवासियों के चेहरे पर ऐसी प्रसन्नता पहले कभी नहीं देखी
  2. डॉ. दर्शन लाल पुंशी (MLA): शदाणी दरबार का योगदान दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने में अद्वितीय है। यहां के कार्यक्रम न केवल धार्मिक हैं, बल्कि मानवता के लिए भी प्रेरणादायक हैं।
  3. रमेश लाल (MLA): शदाणी दरबार ने सिंध की धरती पर सनातन धर्म के प्रचार और भाईचारे की भावना को मजबूत किया है। संत जी का यह प्रयास हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।
  4. सैफलाल खोखर (ETP मंत्री): साधुबेला तीर्थ पर शदाणी घाट का निर्माण पाकिस्तान सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए लाभकारी होगा। यह संत जी के नेतृत्व और प्रयासों का परिणाम है।
  5. असीम चौधरी (मुख्य सुरक्षा अधिकारी): शदाणी दरबार का यह प्रयास दो देशों के बीच विश्वास और एकता का अद्भुत उदाहरण है। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि मानवता के लिए एक नई दिशा भी है।

डॉ. संतश्री युधिष्ठिरलाल महाराज जी ने कहा कि हम और हमारा दरबार धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत को प्राथमिकता देता है। यह यात्रा मानवता, प्रेम, और शांति का संदेश देने का एक प्रयास है। साधुबेला तीर्थ पर शदाणी घाट का निर्माण सभी श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी सौगात होगी। हमारा उद्देश्य मानवता को जोड़ना और विश्व में शांति और सौहार्द का संदेश फैलाना है।

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