भोपाल। मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर को कम करने और रोकने के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की जा रही है। प्रदेश के तीन आदिवासी जिलों में गर्भवती महिलाओं के लिए बर्थ वेटिंग रूम बनाया गया है। जहां गर्भवती महिलाएं प्रसव की संभावित तारीख से एक सप्ताह पहले यहां आकर रुक सकेंगी। यहां रुकने वाली महिलाओं को रोज 100 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।

दरअसल, एमपी में मातृ मृत्यु दर 173 प्रति लाख है, जो राष्ट्रीय औसत 97 से काफी अधिक है। इसे घटाने के लिए 7 राज्यों के मॉडल का विश्लेषण किया गया है। इसके आधार पर एक नई पॉलिसी तैयार की जा रही है। प्रदेश के तीन आदिवासी जिला अलीराजपुर, बड़वानी और झाबुआ में बर्थ वेटिंग रूम बनाया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारियों का कहना है कि तीन जिलों में सफलता के बाद इसे अन्य जिलों में भी लागू करने की योजना है। प्रदेश के 47 जिलों के 71 सिविल अस्पताल और 249 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बर्थ वेटिंग होम शुरू होगा। जहां सुमन हेल्प डेस्क और आशा के माध्यम से नियमित जांच की जाएगी।

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बर्थ वेटिंग रूम में गर्भवती महिलाएं प्रसव के एक हफ्ते पहले सुरक्षित रूप से रह सकती हैं। जहां उन्हें किसी भी आपातकालीन स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता मिलेगी। यहां पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा। साथ ही बर्थ वेटिंग रूम में रुकने के दौरान रोजाना 100 रुपये की आर्थिक सहायता भी मिलेगी। इस सुविधा का लाभ उन गर्भवती महिलाओं को मिलेगा, जो पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने वाले जिलों में निवास करती हैं और प्रसव के करीब है।

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