Sakat Chauth 2025: आज सकट चौथ के पावन अवसर पर माताएं अपनी संतानों की लंबी उम्र के लिए भगवान गणेश की पूजा करती और व्रत रखती हैं. लेकिन व्रत तभी पूरा माना जाता है जब सकट कथा का पाठ और श्रवण किया जाए. इस दिन को इसे तिलकुट चौथ, माघ संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसलिए हम अपने पाठकों के लिए लेकर आए हैं आज के दिन पढ़ने वाली गणेश जी की कथाएं…

सकट चौथ व्रत की कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों, भगवान गणेश और कार्तिकेय से यह प्रश्न पूछा कि देवताओं के कष्टों को कौन दूर कर सकता है? दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया. शिवजी ने कहा कि जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही यह कार्य करेगा. कार्तिकेय अपने मोर वाहन पर सवार होकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े, जबकि गणेशजी ने सोचा कि उनका वाहन चूहा है, जो इतनी बड़ी पृथ्वी की परिक्रमा में ज्यादा समय लेगा.

गणेश जी ने एक बुद्धिमान उपाय निकाला और अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा कर ली. जब कार्तिकेय वापस लौटे, तो उन्होंने स्वयं को विजयी घोषित किया. भगवान शिव ने गणेश से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा क्यों नहीं की. गणेश ने उत्तर दिया कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक बसे हैं, और यही उनके लिए सर्वोत्तम परिक्रमा है. इस उत्तर से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्हें सभी के कष्टों को दूर करने का आशीर्वाद दिया. साथ ही यह भी कहा कि जो व्यक्ति चतुर्थी के दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे.

बूढ़ी भक्तिन की कथा

एक समय की बात है, एक नगर में एक नेत्रहीन वृद्धा रहती थी, जो भगवान गणेश की अत्यधिक भक्त थी. वह प्रत्येक माह में चतुर्थी का व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करती थी. एक दिन भगवान गणेश उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और बोले, “तुम जो चाहो, वह मांग लो, तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी.”

वृद्धा ने भगवान से कहा, “प्रभु! मुझे नहीं पता कि क्या मांगना चाहिए.” गणेश जी ने सलाह दी, “अपने बेटे और बहू से पूछो, वे क्या चाहते हैं?”

वृद्धा अपने बेटे के पास गई, जिसने कहा कि उसे धन चाहिए, जबकि बहू ने कहा कि उसे नाती चाहिए. वृद्धा ने आस-पास के लोगों से भी पूछा, और उन्होंने सलाह दी कि वह अपनी आंखों की रोशनी मांगें, क्योंकि वह नेत्रहीन थी.

वृद्धा गणेश जी के पास वापस आई और बोली, “हे प्रभु! आप प्रसन्न हैं तो मुझे 9 करोड़ की माया, निरोगी काया, अखंड सुहाग, आंखों की रोशनी, नाती, पोता, सुख-समृद्धि और जीवन के अंत में मोक्ष का वरदान दें.”

गणेश जी ने कहा, “तुमने तो सब कुछ मांग लिया, फिर भी तुम्हारी सभी इच्छाएं पूरी होंगी.” इतना कहकर भगवान गणेश वहां से चले गए.

गणेश जी के आशीर्वाद से वृद्धा ने अपनी आंखों की रोशनी प्राप्त की, उसका घर धन-धान्य से भर गया, और उसे नाती का सुख भी प्राप्त हुआ. इस प्रकार, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो गईं.