Impact of 8th Pay Commission on Delhi elections 2025: केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया हैं। मोदी सरकार ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। नए वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों के आने के बाद सरकारी कर्मचारियों और पेशनरों को सैलरी में सीधा लाभ मिलेगा। इसे दिल्ली चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि दिल्ली में लाखों की संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं। मोदी सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक से दिल्ली की सियासत, विधानसभा चुनाव पर कितना और क्या असर पड़ेगा आइए जानते है…

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को बैठक में आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। कैबिनेट की बैठक में लिए फैसले के बाद केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। नया आयोग अपनी रिपोर्ट अगले साल 2026 तक सौंपेगा। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि हम सभी को सभी सरकारी कर्मचारियों के प्रयासों पर गर्व है, जो विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करते हैं। मंत्रिमंडल के फैसले से जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ खपत को बढ़ावा मिलेगा।

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दिल्ली की सियासत पर पड़ेगा प्रभाव

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देने को बड़ा सियासी दांव माना जा रहा हैं। इलेक्शन से पहले मोदी सरकार का यह फैसला बीजेपी के लिए कहीं न कहीं संजीवनी साबित हो सकता हैं। क्यों कि दिल्ली में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी और पेंशनर रहते हैं। नई दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), पुलिस और डिफेंस के साथ ही लॉ एंड ऑर्डर सहित कई ऐसे डिपार्टमेंट्स हैं, जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं।

इसके अलावा केंद्र के अलग-अलग मंत्रालय में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी नौकरी करते हैं और दिल्ली में ही रहते हैं। साथ ही दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के बराबर सैलरी मिलती है, जिससे दिल्ली में केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को भी फायदा होगा। इस फैसले से सरकारी कर्मचारी भी गदगद हैं। मोदी सरकार के मास्टर स्ट्रोक से बीजेपी को दिल्ली चुनाव में निश्चित रूप से वोट में बदलने की उम्मीद मानी जा रही है।

Delhi की इन सीटों पर पड़ेगा असर?

दिल्ली की सियासत में सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारी काफी अहम माने जाते हैं। यह दिल्ली की सत्ता की दशा और दिशा तय करते हैं। राजधानी की लगभग 20 विधानसभा सीटों पर सरकारी कर्मचारी और पेंशनर रहते हैं। नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, कस्तूरबा नगर, आंबेडकर नगर, कमला नगर, मालवीय नगर, आरके पुरम, मुखर्जी नगर, राजेंद्र नगर, पटेल नगर, जंगपुरा, साकेत, कालकाजी, खानपुर, वजीरपुर और पटपड़गंज जैसी सीटों पर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का प्रभाव बताया जा रहा है।

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दिल्ली में बीजेपी का 27 साल से वनवास

दिल्ली में बीजेपी बीते 27 साल से वनवास झेल रही है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में सिर्फ एक बार ही सत्ता पर काबिज हुई है। साल 1993 में ही दिल्ली को फतह करने में कामयाब रही थी। 1998 में उसके हाथों से सत्ता चली गई थी। पहले 15 साल तक शीला दीक्षित फिर 11 साल से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के आगे पस्त नजर आई है। बीजेपी अब 2025 में होने वाले विधानसभा में हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने पूरा दमखम लगा दिया है। मोदी सरकार के आठवें वेतन आयोग को मास्टर स्ट्रोक के रूप में एक महत्वपूर्व कदम बताया जा रहा है। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह मास्टर स्ट्रोक दिल्ली की सियासत में कितनी भूमिका तय करते हैं ?

गौरतलब है कि केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है। देश में हर 10 साल पर नया वेतन आयोग लागू किया जाता है। इससे पहले सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था। इसका कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। माना जा रहा है कि आठवां वेतन आयोग 2026 से लागू किया जा सकता है। आठवां वेतन आयोग लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आठवें वेतन आयोग में मिनिमम बेसिक सैलरी बढ़ाकर 34,650 रुपये की जा सकती है। जबकि सातवें वेतन आयोग में यह 18000 रुपये है। इसी तरह से न्यूनतम पेंशन 9 हजार से बढ़कर 17 हजार 280 रुपये तक हो सकती है।