सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता(Tushar Mehta) ने सीमेंट और छड़ जैसे गैर मांस उत्पादों के हलाल प्रमाणीकरण(Halal Certificate) का मुद्दा उठाया. उन्होंने सवाल किया कि हलाल प्रमाणित उत्पादों के लिए अधिक खर्च क्यों करना चाहिए जिनका इससे कोई लेना देना नहीं है? उन्हें शीर्ष अदालत में ये दलीलें दीं, (निर्यात के लिए उत्पादित वस्तुओं को छोड़कर)जो उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित खाद्य उत्पादों के भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष कहा. “जहां तक हलाल मांस का सवाल है, किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती. लेकिन न्यायाधीशों को यह जानकर आश्चर्य होगा, जैसा कि मुझे हुआ था कि सीमेंट और छड़ जैसे उत्पादों को भी हलाल प्रमाणित किया जाता है.”
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तुषार मेहता ने कहा कि बेसन और आटा को भी हलाल प्रमाणित किया जाता है. बेसन हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एकत्र की गई कुल राशि लाखों करोड़ हो सकती है.’ याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि केंद्रीय नीति कहती है कि यह जीवनशैली का मामला है, और याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि यह सब स्वैच्छिक है, कोई दबाव नहीं है. सॉलिसिटर जनरल ने कुछ लोगों का जिक्र किया जो हलाल प्रमाणित उत्पादों का उपभोग नहीं करते या यकीन नहीं रखते हैं. मेहता ने सवाल किया कि उन्हें अधिक कीमत क्यों देनी चाहिए? क्योंकि कुछ लोग हलाल-प्रमाणित उत्पाद चाहते हैं.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने पीठ को बताया कि केंद्र ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया है. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह का समय दिया और कहा कि मामले की सुनवाई 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के अनुसार, याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया. केंद्र ने शीर्ष अदालत में जवाबी हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा 18 नवंबर, 2023 को जारी की गई अधिसूचना से संबंधित है, जो पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र और प्राधिकार में आता है.
हलफनामें में क्या कहा
हलफनामे में कहा गया कि केंद्र के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय मुख्य रूप से भारत में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू व्यापार, औद्योगिक विकास और निर्यात संवर्धन के विनियमन और संवर्धन से संबंधित है, जिसमें हलाल प्रमाणन से संबंधित एक मामले में लखनऊ में एक याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. शीर्ष अदालत ने 2024 में निर्यात के लिए उत्पादित वस्तुओं को छोड़कर. उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य से उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था.