Eknath Shinde Return to Village: डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे एक बाऱ फिर CM देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) से नाराज हो गए हैं। हालात यह है कि डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे एक बार नाराज होकर एक बार अपने गांव चले गए हैं। उनकी नाराजगी ऐसे समय में सामने आई है, जबकि मुख्यमंत्री फडणवीस खुद विदेश दौरे पर हैं।
बता दें कि रिकॉर्डतोड़ बहुमत से महाराष्ट्र की सत्ता (Maharashtra Politics) में आने के बाद भी महायुति (MahaYuti) गठबंधन में सरकार बनने के पहले से शुरू हुआ रूठने-मनाने के दौरान सरकार बनने के बाद भी जारी है। महायुति गठबंधन की तीनों पार्टियां शिवसेना शिंदे गुट, एनसीपी अजित पवार गुट और बीजेपी के दिग्गज नेताओं का फूफा-जीजा की तरह मुंह फुलाने का दौर जारी है।
कभी मंत्री पद को लेकर तो कभी विभागों को लेकर. अब दो जिलों के गार्जियन मिनिस्टर (Guardian Minister) को लेकर विवाद महायुति में विवाद चल रहा है। शिंदे की शिवसेना गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति पर नाराज चल रही है। गार्जियन मिनिस्टर यानी वो मंत्री जो किसी विशेष जिले के विकास की देखरेख के लिए नियुक्त किए जाते हैं।
शिंदे की नाराजगी की वजह
दरअसल महायुति सरकार में रायगढ़ और नासिक जिले में गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति हुई है। इसमें बीजेपी के कोटे से गिरीश महाजन को नासिक की जिम्मेदारी मिलीष वहीं NCP के कोटे से पार्टी अध्यक्ष सुनील तटकरे की बेटी और मंत्री आदिति तटकरे को रायगढ़ जिले का प्रभार मिला है। इन दोनों जिलों के प्रभारी के लिए शिवसेना ने सरकार से डिमांड की थी। जब बात नहीं मानी गई तो एकनाथ शिंदे नाराज हो गए और एक बार फिर अपने गांव चले गए।
दोनों गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति पर फिलहाल होल्ड
हालांकि बीजेपी उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए बीजेपी से गिरीश महाजन और चंद्रकात बावनकुले को लगाया गया है। शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए फिलहाल दोनों जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति होल्ड कर दी गई है।
विदेश दौरे पर हैं सीएम फडणवीस
एकनाथ शिंदे की नाराजगी भी तभी सामने आई है, जब फडणवीस 20 से 24 जनवरी तक देश से बाहर हैं। उम्मीद यही है कि उनके आने के बाद शिंदे की नाराजगी पर बात होगी, लेकिन तब तक महाराष्ट्र की सियासत में नाराज शिंदे एक अहम किरदार बने रहेंगे।
अजित पवार ने भी जताई थी नाराजगी
गौरतलब है कि इससे पहले एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने सीएम देवेंद्र फडणवीस के एक फैसले पर गंभीर नाराजगी जताई थी। सीएम ने एनसीपी के दो कैबिनेट मंत्रियों के फैसलों को रद्द कर दिया था, जिससे एनसीपी चीफ आहत हो गए थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्री हसन मुश्रीफ और सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील के निर्णय पर मुख्यमंत्री ने एक्शन लिया था। इसपर अजित पवार ने कहा था कि अगर वह चाहते हैं कि महायुति में सब साथ बढ़ें तो कोई भी फैसला लेने से पहले चर्चा करनी चाहिए।
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