रणधीर सिंह परमार, छतरपुर। संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित भव्य महाकुंभ (Kumbh Mela 2025) में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकियां लगा चुके हैं। भारत ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों में भी आस्था ऐसी है कि संगम में डुबकी लगाने के लिए मीलों दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं। इस पवित्र माहौल में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी शामिल होंगे। महाकुंभ में जाने से पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) से खास बातचीत की, जिसमें 27 से 29 तारीख तक होने वाले हनुमान कथा के बारे में बताया। साथ ही अन्य कई मुद्दों पर भी अपना बयान दिया। पढ़ें Lalluram.com से खास बातचीत में उन्होंने क्या कहा…

रणधीर सिंह परमार, छतरपुर। संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित भव्य महाकुंभ (Kumbh Mela 2025) में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकियां लगा चुके हैं। भारत ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों में भी आस्था ऐसी है कि संगम में डुबकी लगाने के लिए मीलों दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं। इस पवित्र माहौल में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी शामिल होंगे। महाकुंभ में जाने से पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) से खास बातचीत की, जिसमें 27 से 29 तारीख तक होने वाले हनुमान कथा के बारे में बताया। साथ ही अन्य कई मुद्दों पर भी अपना बयान दिया। पढ़ें Lalluram.com से खास बातचीत में उन्होंने क्या कहा…

सवाल– महाराज कुंभ में आपका कब जाना हो रहा है?

जवाब– 24 के बाद कुंभ में हम आस्था की डुबकी लगाने जा रहे हैं। 27, 28, 29 हनुमान कथा के द्वारा सेवा करेंगे। परमार्थ निकेतन में चिदानंद मुनि जी के संरक्षण और बद्रीनाथ वाले महाराज जी के यहां शहीदों के लिए जो यज्ञ होना है, उसमें आहुतियां डालेंगे और उन सब की कृपा प्रकार सभी संतों का आशीर्वाद लेकर महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगे।

सवाल–महाकुंभ में लगभग 9 करोड़ लोग पहुंच चुके हैं। 50 करोड लोगों के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इतने वर्षों बाद महाकुंभ आया है। लोगों में कितना उत्साह है और इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब– देखिए अनूठा देश है भारत, अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए अनेक तरह के प्रयोग करते हैं और सनातन संस्कृति सात्विकता का प्रतीक है और सत्य का प्रतीक है। सनातन संस्कृति वासुदेव का कुटुंब है। सबको गले लगाने की संस्कृति है। विदेशियों को भी दोनों हाथ फैला कर स्वीकार करने का  सामर्थ्य रखते हैं। विश्व के अन्य जो भी मजहब हैं उनमें प्रोटोकॉल बहुत है। आप उनके मजहब के नहीं हो तो काफिर कहलाओगे। आपको यह करना पड़ेगा, आपको वह करना पड़ेगा  सनातन में सीधा है, आप डुबकी लगाओ और सनातनी हो गए। सनातन की यही अद्भुता है कि सनातन सबसे उच्च है, सर्वोत्तम है।

सवाल– महाराज एक यात्रा निकाली आपने, जिसके माध्यम से सबको एक संदेश दिया। उसके बाद धाम पर एक आदिवासी सम्मेलन किया। क्या विचार आए आपके मन में और ऐसा आपको क्यों करना पड़ रहा है?

जवाब–देश का नाम है हिंदुस्तान। हिंदुस्तान हिंदुओं का स्थान है। हिंदू नहीं रहेंगे तो हिंदुस्तान कहलाने के लिए ही नहीं है। हमारे अपने भाई धर्मांतरण लालच के लिए कर रहे हैं। जिनको घृणा दृष्टि से देखा गया। वह हमसे देखा नहीं जा रहा। इसलिए हम अनवरत 24 घंटे में से 8 घंटे हम हिंदुत्व के लिए निकलने लगे। हमें लगा कि हमें इस देश की उन भाइयों के लिए चर्चा करनी चाहिए जो प्रकृति के मित्र हैं, जो प्रकृति के करीब हैं। जिनका जीवन जल-जंगल और जमीन है।  जिन्होंने जंगल में जीवन बिताया, उन आदिवासी भाइयों को अपना गौरव दिन याद करवाने के लिए उनका सम्मान दिलाने के लिए संपूर्ण देश के आदिवासियों को एकत्रित करने के लिए हमने 19 जनवरी को एक सम्मेलन रखा। जिसमें उनसे सीधी बात की। उनके गौरव को याद करने का काम किया। अब पूरे देश में उन लोगों के माध्यम से एक संगठन खड़ा करके हिंदुत्व को बचाने के लिए हमने प्रण किया है। बागेश्वर धाम हनुमान चालीसा एक मंडली बनाई जाएगी। जिसमें सभी समाज के लोग शामिल होंगे।

सवाल–lalluram.com पर महाकुंभ में जाने वाले लोग, श्रद्धालुओं ओर सनातनियों के लिए आप क्या संदेश देंगे?

जवाब– महाकुंभ अभी कुछ दिनों से कुछ अपने उद्देश्यों से भटक रहा है। इससे हमारे मन में खीज है। महाकुंभ किसी को वायरल करने के लिए नहीं है। सनातन पर विचार विमर्श के लिए है। हिंदुत्व पर विचार विमर्श के लिए है। जिन हिंदू भाइयों के धर्मांतरण हो चुके, उनकी घर वापसी कैसे कराएं, उनका सम्मान कैसे दिलवाएं, उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था कैसे हो पाए, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक हम अपने भारत को कैसे सम्पन्न करवा पाएं, ये महाकुंभ का मुद्दा है, आस्था का मुद्दा है, संस्कृति का मुद्दा है। यह जो कुछ दिनों से हो रहा है रील वाला, यह हमको पसंद नहीं। हम चाहते हैं रियल में आए, चित्र होने चाहिए, लेकिन चरित्र भी साथ में होने चाहिए। हमें वायरल नहीं होना है। हमें सनातन को पकड़ना है। वायरल होना कोई बड़ी बात नहीं है। इस टेक्नोलॉजी के जमाने में इसलिए जोड़ना और जोड़ना बहुत जरूरी है थैंक यू।

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