महाराष्ट्र में सैफ अली खान पर हुए हमले के बाद राज्य में रह रहे अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर छह दिनों के भीतर दूसरी बार एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बड़ी कार्रवाई की है. इस दौरान ट्रैफिकिंग टीम ने मीरा रोड पुलिस थाना क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे एक पुरुष और दो महिला बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई की है.
दरअसल, मीरा-भायंदर को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट से सूचना मिली कि कुछ बांग्लादेशी नागरिक बिना अनुमति के सिनेमैक्स सिनेमा के सामने मीरा रोड पूर्व में रह रहे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार रात करीब 2 बजे पुलिस ने एक पुरुष और दो महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उन्होंने बांग्लादेशी नागरिक होने की स्वीकृति दी.
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम पहले भी कर चुकी है कार्रवाई
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने 16 जनवरी 2025 को नवघर, काशीगांव और नया नगर पुलिस थाना क्षेत्र में पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था. फिलहाल, सभी पर मामला दर्ज कर आगे की जांच एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के पुलिस निरीक्षक देविदास हंडोरे कर रहे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के गृह विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा है. यह पत्र शिवसेना के पूर्व सांसद राहुल शेवाले ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की एक रिपोर्ट के आधार पर लिखा है.
हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले में एक अवैध बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार किया गया था, जिससे महाराष्ट्र में बांग्लादेशियों को राज्य से बाहर निकालने की मांग बढ़ गई. हाल ही में, शिवसेना के नेता और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणावीस को पत्र लिखकर मुंबई की सुरक्षा के लिए अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को राज्य से बाहर निकालने की मांग की. इस कड़ी में अब एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने यह बड़ा कदम उठाया है.
बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर क्या कहती है TISS की रिपोर्ट?
पिछले नवंबर में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि मुंबई के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों ने गंभीर रूप से प्रभावित किया है. रिपोर्ट का शीर्षक है ‘मुंबई में अवैध प्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण’, जिसमें कहा गया है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में इन प्रवासियों का काम योगदान देता है, लेकिन यह स्थानीय कर्मचारियों को कम वेतन देता है और नौकरी के अवसरों को कम करता है. रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम प्रवासी आबादी में वृद्धि से जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक असुरक्षा और सामाजिक विभाजन बढ़ रहे हैं. 1961 में मुंबई में हिंदू आबादी 88% थी, जो 2011 तक 66% रह गई, जबकि मुस्लिम आबादी 8% से 21% हो गई.
स्थानीय संसाधनों पर बढ़ता दबाव
TISS रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अवैध प्रवासियों ने मुंबई के सीमित संसाधनों पर पहले से ही दबाव डाला है और स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर बढ़ते बोझ से स्थानीय निवासियों की सुविधाएं बाधित हो रही हैं. रिपोर्ट के निष्कर्षों में कहा गया है कि इन प्रवासियों का आर्थिक योगदान महत्वपूर्ण होते हुए भी सामाजिक तनाव और स्थानीय समुदायों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है, जिससे राजनीतिक दल वोटबैंक राजनीति कर रहे हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया पर खतरा
रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि इन प्रवासियों में से कुछ के आतंकी संगठनों से जुड़े होने की संभावना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से इन्हें चुनावों में शामिल किया जा रहा है, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और इस समस्या को जड़ से दूर किया जाए.
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