US Cesarean Delivery: अमेरिका की बागडोर संभालते ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)ने जन्मजात नागरिकता के अधिकार को समाप्त कर दिया है. इससे अमेरिका में रहने वाले उन भारतीयों (Indians) को झटका लगा है जो वहां बच्चे को जन्म देकर नागरिकता हासिल करना चाहते थे. ट्रम्प के इस आदेश को लागू होने में 30 दिन का समय है. आदेश की समय सीमा 19 फरवरी को पूरी हो रही ऐसे में प्रेंग्नेट भारतीय महिलाए 20 फरवरी से पहले सातवें या आठवें महीनें में ही सी सेक्शन (Caesarean section) यानि सर्जरी के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती है. अवैध रूप से या वीजा पर रह रही प्रेग्नेंट महिलाएं समय से पहले इसलिए डिलीवरी करवा लेना चाहती हैं ताकि उनके बच्चे को अमेरिका (United States) की नागरिकता (Citizenship) मिल जाए और बच्चे की इस वजह से उन्हें और उनके पति को अमेरिका में रहने की कानूनी मदद मिल जाए.
अमेरिकी संविधान में हुए 14वें संशोधन के अनुसार जन्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रविधान है. मतलब, अमेरिका में जन्म लेने वाला हर बच्चा खुद ही अमेरिका का नागरिक बन जाता है. भले ही उसके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी रही हो. अमेरिका में सबको बराबरी का अधिकार देने के मकसद से यह संविधान संशोधन 1868 में लागू हुआ था. काफी समय से राजनीतिक दल अवैध प्रवासियों और घुसपैठ का मुद्दा लगातार उठा रहे थे. खासतौर पर ट्रंप इसके सख्त खिलाफ थे.
दरअसल, राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रम्प ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर जन्मजात नागरिकता के अधिकार को समाप्त करने का फैसला किया है. ऐसे में अवैध प्रवासियों या वीजा पर रहने वाले लोगों के उन बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाएगी जिनका जन्म अमेरिका में होगा.
ट्रंप के ऐलान के बाद कई भारतीय महिलाएं आठवें या नौवें महीने में, 20 फरवरी से पहले बच्चे पैदा करना चाहती हैं. न्यू जर्सी की डॉ. एस.डी. रामा ने बताया कि ट्रम्प के ऐलान के बाद ऐसे मामले बढ़े हैं. उन्होंने बताया कि एक महिला तो सातवें महीने में ही डिलीवरी चाहती है. इसके लिए वे पति के साथ आई थीं और डिलीवरी की तारीख मांग रही थीं.
सर्जरी से महिलाओं को खतरा
टेक्सास की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. एस जी मुक्काला ने तय समय से पहले बच्चे के जन्म के बाद होने वाले नुकसान पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि समय से पहले बच्चे पैदा करना संभव है, लेकिन इससे मां और बच्चे के लिए खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि समय से पहले डिलीवरी से बच्चों में अविकसित फेफड़े, तंत्रिका तंत्र को नुकसान, कम वजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
ट्रम्प के आदेश का भारतीयों पर असर
अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में करीब 54 लाख भारतीय रहते हैं. यह अमेरिका की आबादी का करीब डेढ़ फीसदी है. इनमें से दो-तिहाई लोग फर्स्ट जेनरेशन इमिग्रेंट्स हैं। यानी कि परिवार में सबसे पहले वही अमेरिका गए, लेकिन बाकी अमेरिका में जन्मे नागरिक हैं. ट्रम्प के आदेश के बाद फर्स्ट जेनरेशन इमिग्रेंट्स को अमेरिकी नागरिकता मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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ग्रीनकार्ड का इंतजार कर रहे परिवारों की उम्मीद टूटी
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ट्रम्प के आदेश से हर साल 1.5 लाख नवजातों की नागरिकता पर संकट आ गया है. आदेश के बाद अमेरिका में ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे परिवारों को सबसे ज्यादा झटका लगा है क्योंकि वे अपने बच्चों के जन्म की नागरिकता से अमेरिका में लंबे समय तक रहने का मौका तलाश रहे थे.
इसलिए लोग अमेरिका में बच्चे पैदा करने को अमेरिका में रहने के सुनहरे मौके के रूप में देखते हैं. इससे उन्हें अमेरिका में लंबे समय या फिर स्थाई रूप से रहने का टिकट मिल जाता है. प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है.
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