Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच सक्षम अधिकारी की अनुमति से पहले की गई थी या नहीं। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से जुड़े मामले की केस डायरी और तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।

याचिकाओं पर सुनवाई

जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश रमेश चंद्र मीणा और दो अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान और सुधीर जैन ने अदालत में तर्क प्रस्तुत किए।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष

अधिवक्ताओं ने दलील दी कि ACB ने 30 अक्टूबर 2024 को जल जीवन मिशन घोटाले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि, यह मामला दर्ज करने से पहले सक्षम अधिकारी से अनुमति नहीं ली गई।

  • ACB ने प्राथमिक जांच 18 जनवरी 2024 को शुरू की।
  • जबकि सक्षम अधिकारी से अनुमति 4 जुलाई और 26 सितंबर 2024 को प्राप्त की गई।

याचिका में कहा गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 17ए के तहत प्राथमिक जांच के लिए सक्षम अधिकारी की अनुमति अनिवार्य है। बिना अनुमति के जांच शुरू करना कानून का उल्लंघन है।

याचिका में अन्य बिंदु

  1. याचिकाकर्ताओं का घोटाले में कोई सीधा संबंध नहीं है।
  2. जिन तथ्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें याचिकाकर्ताओं की भूमिका नहीं है।
  3. याचिकाकर्ता टेंडर जारी करने के लिए अधिकृत नहीं थे और उन्होंने सभी कार्य नियमानुसार किए।

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से ACB द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अपील की।

अदालत ने दिया ये आदेश

हाईकोर्ट ने ACB और राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या सक्षम अधिकारी से अनुमति के बिना जांच शुरू की गई। याचिकाकर्ताओं से संबंधित केस डायरी और तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

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