Pune Guillain-Barre Syndrome Cases: महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम(Guillain-Barre Syndrome) के 8 संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे जिले में इन मामलों का कुल आंकड़ा 67 हो गया है. बीते मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित प्रतिक्रिया टीम (RRT) का गठन किया था ताकि इसके कारण का पता लगाया जा सके. जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में अचानक कमजोरी और सुन्न हो जाना होता है, शरीर में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि होता है. बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन शरीर की प्रतिरक्षा को कमजोर करते हैं, जो जीबीएस को जन्म दे सकते हैं.

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महामारी का कारण नहीं बनेगा GBS

यह बीमारी बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकती है, लेकिन यह महामारी नहीं हो सकती. डॉक्टरों ने बताया कि इलाज के बाद अधिकांश मरीज स्वस्थ हो जाते हैं.

पुणे में पाए गए 67 मामलों में 43 पुरुष और 24 महिलाएं हैं, जिनमें से 13 वेंटिलेटर पर हैं. आरआरटी और पीएमसी स्वास्थ्य विभाग इस बीच सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं. आरआरटी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक डॉ. बाबासाहेब टंडाले, स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रेमचंद कांबले, डॉ. राजेश कार्यकार्टे और बीजे मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. भालचंद्र प्रधान शामिल हैं.

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लोगों में जागरूकता फैलाने का काम जारी

पुणे में जीबीएस के मामले पर सहायक स्वास्थ्य अधिकारी वैशाली जाधव ने बताया कि 23 जनवरी तक जिले में 67 मामले सामने आए हैं. 4 टीमें बनाई गई हैं, जो इलाकों का सर्वे कर रही हैं और लोगों को जागरूक कर रही हैं, जहां सबसे ज्यादा GBS केस सामने आए हैं.

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है; यह अक्सर एक संक्रमण के बाद होता है, जैसे कैंपिलोबैक्टर जेजुनी या मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिया. दुर्लभ मामलों में इससे लगभग पूर्ण पक्षाघात और सांस लेने में समस्या हो सकती है.

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क्या हैं GBS के लक्षण

जीबीएस के लक्षण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

1. पैरों और हाथों में कमजोरी और सुन्नता

2. चलने में कठिनाई

3. संतुलन और समन्वय की समस्या

4. आंखों की समस्याएं

5. सांस लेने में कठिनाई

क्या है GBS का उपचार

प्लाज्मा एक्सचेंज या इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के साथ जीबीएस का उपचार आमतौर पर लक्षणों के आधार पर किया जाता है, और स्पाइनल टैप और न्यूरोफिजियोलॉजिकल परीक्षण इसकी पुष्टि कर सकते हैं. फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी भी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

GBS की रोकथाम

जीबीएस को नियंत्रित करने का कोई निश्चित उपाय नहीं है, लेकिन संक्रमणों से बचाव करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जोखिम को कम कर सकता है.