Supreme Court On Womens Domestic Violence: हमारे देश भारत में बेटियों (लड़कियों-महिलाओं) को माता जगदंबा का रूप माना जाता है। यहां दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा और सरस्वती पूजा भी मनाया जाता है। बावजूद इसके भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। बेटियों पर हिंसा उसके घर से ही शुरू हो जाती है। घरेलू हिंसा पर सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने समाज को आइना दिखाने वाली टिप्पणी की।

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दरअसल पत्नी और 2 नाबालिग बेटियों को छोड़ कर दूसरी शादी करने के आरोपी की याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे कड़ी फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि ऐसे क्रूर व्यक्ति को यहां घुसने नहीं देना चाहिए। पहले वह अपनी बेटियों के लिए कुछ करे तब उसकी कोई बात सुनी जाएगी।

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बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस सूर्य कांत ने कहा “यह व्यक्ति सिर्फ कई बच्चे पैदा करने में दिलचस्पी रखता है। उन्हें पालने में नहीं। जिसे अपनी बेटियों से लगाव नहीं वैसे इंसान और जानवर में क्या फर्क है? सारा दिन कभी लक्ष्मी पूजा और कभी सरस्वती पूजा, फिर यह सब?” जज ने यह भी कहा कि उन मासूम बच्चियों की क्या गलती है जिन्हें याचिकाकर्ता इस दुनिया में लाया?

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जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह ने झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले याचिकाकर्ता से कहा है कि वह अपनी खेती की जमीन का कुछ हिस्सा बेटियों के नाम करे या उनके लिए फिक्स्ड डिपोजिट करवाए। हाई कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता के वकील से जजों ने कहा कि वह बेटियों के हितों की रक्षा को लेकर कुछ प्रस्ताव दे। कोर्ट ने 14 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

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पहुंचा था सजा के खिलाफ कोर्ट ने निकाल दे हेकड़ी

बता दें कि याचिकाकर्ता योगेश्वर साव उर्फ जुगेश्वर साव पर आरोप था कि उसने अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया। जबरन पत्नी का गर्भाशय ऑपरेशन कर के निकलवा दिया। फिर दूसरी शादी कर ली। हालांकि पुलिस की कमजोर जांच के चलते IPC की धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के लिए ही उसे सजा मिली। निचली अदालत ने उसे ढाई (2.5) साल कैद और पत्नी को 5 हजार रुपया जुर्माने की सजा दी। 2024 में हाई कोर्ट ने सजा को बदल कर डेढ़ (1.5) साल कैद और 1 लाख रुपया जुर्माना कर दिया। इसी के खिलाफ जुगेश्वर साव सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

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