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रायपुर.छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआती एक साल में ही अपने सुशासन से राज्य में ईज ऑफ लिविंग की अवधारणा को मजबूती दी है। ईज ऑफ लिविंग (Ease of Living) के अर्थ में ही राज्य के मुखिया की शुभ मंशा छुपी हुई है। इसका मतलब होता है नागरिकों के जीवन को सरल, सुगम, और आरामदायक बनाना।यह अवधारणा सरकारी तंत्र, नीतियों और योजनाओं को इस प्रकार से व्यवस्थित करने के लिए बनाई गई है, जिससे आम नागरिक की समस्याएं कम से कम होते हुए समाप्त ही हो जाए और उन्हें बेहतर जीवन जीने के अवसर मिले।विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम उठा रही है।
बुनियादी ढांचों पर दिया जा रहा ध्यान
ईज़ ऑफ़ लिविंग को को परखने की कसौटी होती है किसी देश या राज्य में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता, प्रशासन की पारदर्शिता, और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए हैं। इसका उद्देश्य केवल बुनियादी ढाँचे को ही सुधारना नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और रोजगार जैसी सेवाओं को सभी नागरिकों तक आसानी से पहुँचाना भी है। विष्णुदेव साय एक सशक्त राजनेता और कुशल प्रशासक हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को उस मुक़ाम पर ला खड़ा किया है जहां हर नए दिन नया कीर्तिमान गढ़ा जा रहा है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जनकल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर नागरिक को उनकी बुनियादी अधिकार और सुविधाएं समान रूप से प्राप्त हों।
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ईज़ ऑफ़ लिविंग की अवधारणा को बल देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नया विभाग सुशासन एवं अभिसरण (गुड गवर्नेंस एवं कन्वर्जेंस) भी बनाया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार का 58वां विभाग है। सुशासन एवं अभिसरण विभाग अन्य शासकीय विभागों में जनता को आने वाली समस्याओं को समझकर उनके समाधान पर काम करने के लिए गठित किया गया है इस विभाग से राज्य में सुशासन और मज़बूत होगा इसमें जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की योजना है। इस विभाग का गठन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में हुआ था। इस विभाग के अंतर्गत अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण शिक्षण संस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग को भी शामिल किया गया है।
हर तरफ़ से की जा रही पहल ईज़ ऑफ़ लिविंग की अवधारणा के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को नागरिकों तक सुगम बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की जा रही है, आयुष्मान भारत योजना का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है , मोबाइल मेडिकल वैन जैसी सेवाओं से स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाया जा रहा है।
शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए स्कूलों का आधुनिकीकरण, डिजिटल शिक्षा की सुविधा और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में विशेष योजनाएं लागू की गई हैं। सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता से छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को आसान और रोचक बनाया गया है। ग्रामीण विकास के लिए सड़क निर्माण, बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी गई है। सड़कों का जाल बिछाने से न केवल आवागमन सुगम हुआ है, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
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प्रधानमंत्री आवास योजना और राज्य सरकार की आवासीय योजनाओं ने गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए घर बनाना आसान कर दिया है। इन योजनाओं के तहत सब्सिडी और लोन की सुविधाएं भी दी जा रही हैं। ई-गवर्नेंस और डिजिटल तकनीक का उपयोग करके प्रशासन को पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त बनाया गया है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है, जिससे आम जनता को बिना किसी बाधा के सुविधाएं मिल रही हैं।
ईज़ ऑफ़ लिविंग में स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विष्णुदेव साय सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियानों को बढ़ावा दिया है।विष्णुदेव साय के प्रयासों से ईज़ ऑफ़ लिविंग का प्रभाव न केवल नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर पड़ा है, बल्कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है। इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और ग्रामीण परियोजनाओं ने रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है। महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों का निर्माण और स्वरोजगार योजनाओं ने सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया है।
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विष्णुदेव साय सरकार ने जनजातीय और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं, जिससे समाज में समरसता बढ़ी है। सरकारी योजनाओं और सुविधाओं के प्रभावी कार्यान्वयन से नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार की सुविधाएं मिली हैं, जिससे जीवन स्तर में सुधार हुआ है।हालांकि ईज़ ऑफ़ लिविंग की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। इनमें वित्तीय संसाधनों की कमी, योजना कार्यान्वयन में देरी, और जनजागरूकता की कमी प्रमुख हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) को बढ़ावा देना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, और योजनाओं की निगरानी के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग करना चाहिए।
डबल इंजन सरकार ने किया कमाल
केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार की मिली जुली कोशिशें छत्तीसगढ़ में लगातार चमत्कार दिखा रही है यहाँ की डबल इंजन वाली विष्णुदेव साय सरकार मोदी की ग्यारंटी को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ को हर दिशा से विकास देने का काम कर रही है। छत्तीसगढ़ को सड़क, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य के लिए केंद्र से 1171 करोड़ रूपए मिले है जिसके बाद छत्तीसगढ़ केंद्र सरकार की “राज्यों को विशेष सहायता योजना” के तहत टॉप-5 पर पहुँच गया है गौरव की बात है कि देश के असम, गुजरात, हिमाचल, त्रिपुरा, गोवा और सिक्किम जैसे राज्यों की तुलना में केंद्र सरकार के कैपेक्स में छत्तीसगढ़ टॉप-5 में है।
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ को हर तरफ से सहेजा है बस्तर से लेकर सरगुजा तक हर वर्ग के लोगों की समस्याओं को समझा है, जाना है फिर सुलझाया है राज्य सरकार जनहित में जी तोड़ काम कर रही है , उनके विषय में त्वरित निर्णय ले रही है परिणाम यह हो रहा है कि जनता और सरकार के बीच का रिश्ता हर दिन मजबूत होता जा रहा है, सरकार और जनता के बीच ऐसा अद्भुत समीकरण शायद ही किसी अन्य राज्य में देखने को मिलता होगा। देखते ही देखते लगभग १० महीनों में ही छत्तीसगढ़ देश के टॉप-5 राज्यों में शामिल हो गया है।
डिजिटलाइजेशन से आई क्रांति
गुड गवर्नेंस एंड कन्वर्जेंस डिपार्टमेंट के ज़रिए, प्रशासन के सभी स्तरों पर डिजिटलाइज़ेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस विभाग के ज़रिए जनसमस्याओं का त्वरित समाधान किया जा रहा है। इसी विभाग के ज़रिए, सुशासन फ़ेलोशिप और मुख्यमंत्री लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कार जैसे अभिनव पहल किए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री की अगुवाई में पूरी दूरदर्शिता के साथ यह निर्णय लिया गया कि सुशासन एवं अभिसरण विभाग अब ई-समीक्षा, ई-लोक सेवा गारंटी और डिजिटल सचिवालय को भी शामिल करेगा, जो अब तक सामान्य प्रशासन विभाग का हिस्सा रहा हैं।
हितग्राहियों को सरकार की योजनाओं का सौ फीसदी लाभ सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर स्तर पर परफॉरमेंस रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। शासकीय विभागों और जनसरोकार से जुड़े कामों के डिजिटलाइजेशन से शासकीय कामों में पारदर्शिता आ रही है इससे विभागों का परफोरर्मेंस भी बेहतर से बेहतरीन होता चला जा रहा है। इन कदमों से विष्णु देव साय सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है । लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत जनता से जुड़ी 90 सुविधाओं का डिजिटलीकरण, शासकीय खरीदी में पारदर्शिता लाने के लिए जैम पोर्टल की शुरुआत भी राज्य सरकार की एक शानदार पहल है।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने अब सरकारी खरीद के लिए केंद्र सरकार के जेम पोर्टल के इस्तेमाल को अपनी। सहमति दे दी है। जेम पोर्टल, भारत सरकार का एक ई-कॉमर्स पोर्टल है। इस पर, सरकारी विभाग और संगठन, ज़रूरी सामान और सेवाएं ऑनलाइन खरीद सकते हैं। जेम पोर्टल एकीकृत भुगतान प्रणाली है जिसमें कई तरह की वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध हैं और इसमें पंजीकरण निशुल्क होता है। जेम पोर्टल पर खरीदार 25,000 रुपये तक की सीधी खरीदी कर सकता हैं इससे खरीदारी में पारदर्शिता और आसानी होती है। जेम पोर्टल ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र भी है। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जेम पोर्टल से अब चिकित्सा उपकरण, दवाएं, और अन्य सामग्री की खरीदी की जाएगी।
सभी शासकीय विभागों के लिए अलग-अलग पोर्टल का निर्माण, ई-ऑफिस की शुरुआत , शासकीय विभागों से सम्बंधित विभिन्न व्यापारिक और औद्योगिक इकाईयों के एनओसी की प्रक्रिया के सरलीकरण जैसे निर्णय ईज़ ऑफ़ लिविंग की अवधारणा को बल देने वाली मुख्यमंत्री साय की दूरदर्शी सोच है। प्रदेश के युवाओं को उद्यम से जोड़ने में भी राज्य सरकार का नया अन्दाज़ बहुत कारगर साबित हो रहा है । कास्तकार बंधुओं की समस्याओं को उसके मूल से समाप्त करने विष्णुदेव साय सरकार राज्य के किसानों को अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित करने की दिशा में आमूलचूल परिवर्तनकारी कदम उठा रही है।पिछले लगभग एक साल में भारत देश के 788 जिलों में छत्तीसगढ़ का डीपीआई स्कोर 37.0 तक पहुँच गया है जो दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड के मुकाबले बेहतर है। विष्णुदेव साय सरकार की ईज़ ऑफ़ लिविंग की अवधारणा, नीतियां और योजनाएं जनता की भलाई के लिए समर्पित हैं। आने वाले समय में यह प्रयास और मजबूत होंगे, जिससे छत्तीसगढ़ एक आदर्श राज्य के रूप में उभरेगा।
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