
GBS(Guillain-Barré Syndrome) नाम की खतरनाक बीमारी इन दिनों महाराष्ट्र के पुणे में फैली हुई है. GBS, यानी गुलेन बैरी सिंड्रोम के दौरान भी यहां एक मौत हुई है. वहीं सैकड़ों लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं. अमेरिका भी इस बीमारी से जुड़ा हुआ है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की इसी बीमारी के चलते मौत हुई थी. एक रिसर्च पेपर ने बताया कि, हालांकि पोलियो को रूजवेल्ट की मौत की वजह पहले बताया गया था, लेकिन उम्र और अन्य लक्षणों से पता चला कि रूजवेल्ट गुलेन बैरी सिंड्रोम का शिकार हुए थे.
क्या कहा था वैज्ञानिकों ने
टेक्सास के वैज्ञानिकों की टीम, डॉक्टर आर्मंड एस गोल्डमैन के नेतृत्व में, फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की बीमारी के लक्षणों का नवीनतम विश्लेषण करते हुए पाया कि रूजवेल्ट जीबीएस के चलते पैरालिसिस की जगह पोलियो के चलते पैरालिसिस का शिकार हुआ था, जो छोटी उम्र के लोगों पर असर डालता है, और रूजवेल्ट की उम्र में पोलियो का असर होने की संभावना ना के बराबर थी.
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शोधकर्ताओं ने इसके पीछे की ठोस वजहें भी बताईं. टेक्सास यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर रहे डॉक्टर आर्मंड गोल्डमैन का मानना है कि रूजवेल्ट का गलत चिकित्सा परीक्षण हुआ था क्योंकि पोलियो के शिकार व्यक्ति को दर्द नहीं होता है और पोलियो शरीर के ऊपरी हिस्से को भी नहीं प्रभावित करता है.
पुणे में इस बीमारी का शिकार बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हो चुके है. 100 से ज्यादा लोगों में यह बीमारी फैली हुई है, 16 लोग वेंटीलेटर पर जा चुके हैं और एक की मौत हो चुकी है. प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों को बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट कर दिया गया है.
क्या है GBS
जीबीएस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसके कारण इम्यून सिस्टम अपने ही स्वस्थ सेल्स पर हमला करता है और हल्के से इंफेक्शन से भी यह बीमारी हो सकती है.यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक करता है. इससे लोग उठने-बैठने, चलने और सांस लेने में परेशानी होती है, और लकवा भी होता है. दरअसल, गुलेन बैरी सिंड्रोम में इम्यून सिस्टम सिर्फ पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. सेंट्रल नर्वस सिस्टम, जो ब्रेन और रीढ़ की हड्डी से बना है, हमारे नर्वस सिस्टम का दूसरा भाग है. यह सिस्टम पूरे शरीर की अन्य सभी नर्व्स को नियंत्रित करता है.
1916 में, फ्रांसीसी न्यूरोलॉजिस्ट जॉर्जेस गुलेन और जीन एलेक्जेंडर बैरी ने इस बीमारी पर काफी अध्ययन किया था, जिसके नाम पर इस सिंड्रोम का नाम रखा गया था.
पेरू में लगानी पड़ी थी इमरजेंसी
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में पेरू में गुलेन बैरी सिंड्रोम का प्रकोप हुआ था, जिसे नियंत्रित करने के लिए राज्य को 90 दिनों के लिए स्वास्थ्य आपातकालीन घोषित करना पड़ा.
क्या है इसका लक्षण
गुलेन बैरी सिंड्रोम की शुरुआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है. ये लक्षण तेजी से फैल सकते हैंऔर लकवे में बदल सकते हैं. इसके शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं…
-हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी.
-पैरों में कमजोरी.
-चलने में कमजोरी, सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत.
– बोलने, चबाने या खाना निगलने में दिक्कत.
– आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत.
– तेज दर्द, खासतौर पर मांसपेशियों में तेज दर्द.
– पेशाब और मल त्याग में समस्या.
– सांस लेने में कठिनाई.
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण तेजी से बढ़ते हैं, इससे पैरालिसिस, या लकवा, की समस्या हो सकती है, जो दो हफ्तों के भीतर अपने चरम पर पहुंच सकती है.
कितने तरह का है ये सिंड्रोम
1.एक्यूट इंफ्लेमेटरी डेमायलीनिएटिंग पोलिरैडिकुलोन्यूरोपैथी (AIDP): यह गुलेन बैरी सिंड्रोम का सबसे आम रूप है, जो उत्तर अमेरिका और यूरोप में आम है. इसमें नर्वस सिस्टम की परत (मायलिन) में सूजन होती है, जिससे पैरों से ऊपर की मांसपेशियों में कमजोरी होती है.
2. मिलर फिशर सिंड्रोम (MFS): इसका पहला असर आंखों पर होता है, जिससे आंखें जलती और दर्द होती हैं. यह सिंड्रोम अधिकतर एशिया में होता है.
3. एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी और एक्सोनल न्यूरोपैथी: चीन, जापान और मेक्सिको में ये दोनों प्रकार अधिक आम हैं, लेकिन उत्तर अमेरिका में कम होते हैं.
क्या हैं इसके कारण
गुलेन बैरी सिंड्रोम का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अक्सर किसी संक्रमण के बाद होता है. सांस या पाचन तंत्र के संक्रमण अक्सर इसका कारण बनते हैं, और कभी-कभी गंभीर चोट या सर्जरी के बाद भी.
क्या हैं इससे बचने के उपाय
गुलेन बैरी सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने और रिकवरी की प्रक्रिया को तेज करने का उपाय है.
1. प्लाज्मा एक्सचेंजः इसमें ब्लड की प्लाज्मा को बदलने की प्रक्रिया शामिल है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और नर्वस तंत्र को राहत देता है.
2 इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपीः इसमें पेन किलर और फिजियोथेरेपी की भी सलाह दी जाती है, जो इम्यून सिस्टम को रोककर तंत्रिका कोशिकाओं को अधिक नुकसान से बचाते हैं.
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