रायपुर- छत्तीसगढ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रवक्ता विकास तिवारी ने भाजपा के नेताओ द्वारा बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा के सुपुत्र आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त करने के फैसले पर लगातार जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उस पर कटाक्ष करते कहा कि जब 15 सालों में पूर्ववती रमन सरकार में बाहर से आये अधिकारियों की नियम विरुद्ध संविदा में नियुक्तियां की जाती थी, वो भी प्रदेश के आला पदों में, तब पूर्व आईएस और भाजपा नेता ओम प्रकाश चौधरी के मुंह में ताला क्यों लगा हुआ था. विकास तिवारी ने कहा कि जब एक आईआरएस अधिकारी जो उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले से आकर पूरे प्रदेश में राज किया करते थे और प्रशासनिक कैडर में अपने से बड़े और वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को नियंत्रण किया करते थे, तब भी ओ पी चौधरी के मुंह में ताला जड़ा हुआ करता था. पूर्व आईआरएस अधिकारी अमन सिंह जो पूर्व मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव थे, उनके दरबार में रोजाना हाजिरी दिया करते थे, जबकि आईआरएस अधिकारियों की रैंकिंग आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से काफी नीचे होती है. बावजूद इसके पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह द्वारा लगातार अपने से कैडर में बड़े आला प्रशासनिक अधिकारियों नियंत्रण लगाने का काम करते थे.
प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि महेंद्र कर्मा की शहादत देश और छत्तीसगढ़ भूला नही है और खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रदेश के युवाओं को आश्वस्त किया है कि किसी भी प्रकार की कटौती पीएससी के रिक्त पदों में नही की जायेगी. खुद पूर्व आईएएस अधिकारी जो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के झांसे में आकर अपनी कलेक्टर की नौकरी से हाँथ घो बैठे और खरसिया विधानसभा का चुनाव भी बुरी कदर हार चुके ओ पी चौधरी अपने ही प्रदेश के आदिवासी युवा को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त करने पर चीखना शोभा नही देता है और न ही प्रदेश के युवाओं को गुमराह करने का काम शोभा देता है. ओपी चौधरी को उस समय की चुप्पी पर भी जवाब देना चाहिये जब उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ से आये अधिकारी अमन सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का ओएसडी फिर सचिव और प्रमुख सचिव तक नियुक्त कर दिया गया था, जबकि नियमानुसार इस पद में आईएसएस अधिकारी की नियुक्ति की जाती है.
प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि रमन सरकार के शासनकाल में डीकेएस अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद डॉ पुनीत गुप्ता को जूनियर होने के बावजूद अस्पताल अधीक्षक बनाया गया,उनके साले को जो पर्यटन विभाग में तृतीय वर्ग के अधिकारी थे, उन्हें बड़े विभाग में एमडी का बड़ा पद दिया गया और उनके समधी डॉ जीबी गुप्ता को आयूष विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया था और भी अन्य शीर्ष पदों में संविदा से आये आरएसएस समर्थित अधिकारियों को भर्ती नियमो में छेड़खानी करके नियुक्त किया जाता था और इन्होंने ही प्रदेश से हजारों करोड़ो का भ्रष्टाचार करके काली कमाई की है. तब पूर्व आईएएस अधिकारी और भाजपा नेता ओपी चौधरी खामोश थे. अब जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के आदिवासी युवा को डिप्टी कलेक्टर बनाया तो भाजपा का छत्तीसगढ़ी आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ ही गया.