Rajasthan News: राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह लिव-इन (सहजीवन) संबंधों को पंजीकृत करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करे। यह फैसला उन याचिकाओं के बाद आया, जिनमें लिव-इन में रहने वाले जोड़ों ने सुरक्षा की मांग की थी।

लिव-इन जोड़ों को सामाजिक व पारिवारिक खतरा
अदालत ने कहा कि कई जोड़े लिव-इन संबंधों में रह रहे हैं, लेकिन उनके रिश्तों को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण उन्हें परिवार और समाज से खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से वे अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं और जीवन व स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
महिला की स्थिति पत्नी जैसी नहीं
अदालत ने लिव-इन रिश्तों को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे संबंधों में महिलाओं की स्थिति पत्नी जैसी नहीं होती, और उन्हें सामाजिक स्वीकृति भी नहीं मिलती।
पीठ ने कहा कि लिव-इन संबंधों का पंजीकरण सरकार द्वारा स्थापित सक्षम प्राधिकारी या न्यायाधिकरण के माध्यम से किया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य के हर जिले में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया, जो इन जोड़ों की शिकायतों को सुनेगी और समाधान करेगी। इसके अलावा, एक वेबसाइट या वेबपोर्टल बनाने के आदेश भी दिए गए ताकि लिव-इन जोड़ों की समस्याओं का समाधान हो सके।
1 मार्च 2025 तक सौंपनी होगी रिपोर्ट
न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस आदेश की एक प्रति राजस्थान के मुख्य सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव और नई दिल्ली के न्याय एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव को भेजी जाए। अदालत ने सरकार से 1 मार्च 2025 तक इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने और उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है।
पढ़ें ये खबरें
- Rajnandgaon-Dongargarh-Khairagarh News: बारिश ने मचाई तबाही… शादी का प्रलोभन देकर बलात्कार… अब खतरे में लोगों की जान
- RO-ARO परीक्षा में 10.76 लाख से अधिक अभ्यर्थी होंगे शामिल, 75 जिलों के 2,382 केंद्रों में होगा एग्जाम, जानिए सुरक्षा के कैसे हैं इंतजाम…
- Rajasthan News: किरोड़ी लाल मीणा का पेपर लीक पर बयान, भजनलाल सरकार के कामकाज पर भी…
- Rajasthan Weather News: राजस्थान में मानसून का चौथा दौर शुरू; अगले 48 घंटे भारी बारिश का अलर्ट, कई जिलों में चेतावनी
- जालिम जमानाः प्रेमी प्रेमिका एक नहीं हो पाए तो दे दी जान, एक ने खाया जहर, दूसरे ने रेलवे ट्रैक पर कर ली खुदकुशी