बॉम्बे हाई कोर्ट(Bombay Highcourt) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया, जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों  के जलाशयों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया है. मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की. महाराष्ट्र के सभी नगर निगमों और बृह्नमुंबई महानगर पालिका (BMC) को कहा गया कि 1 और 2 फरवरी को मनाए जाने वाले ‘माघी गणेश’ उत्सव से पहले निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें.

संजय राउत का दावा; BJP के कई नेता उद्धव ठाकरे से गठबंधन चाहते हैं, अब CM फडणवीस ने दी प्रतिक्रिया

उच्च न्यायालय ने मूर्ति निर्माताओं से भी पूछा कि वे देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए पीओपी का उपयोग क्यों जारी रखते हैं, हालांकि अदालत के बार-बार दिए गए आदेशों के बावजूद पीओपी से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री और विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. बोर्ड ने मूर्ति बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल का उपयोग करने का आह्वान किया है. पीओपी एक सफेद पाउडर है जो पानी में मिलाकर सख्त हो जाता है.

रांची में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ने दी दस्तक, 5 साल की बच्ची में बीमारी के लक्षण; कितनी खतरनाक है यह बीमारी?

दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने की मांग

ठाणे निवासी रोहित जोशी और मिट्टी से मूर्ति बनाने वाले नौ कारीगरों सहित अन्य लोगों ने सीपीसीबी के 2020 के दिशानिर्देशों का सख्त पालन करने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. दूसरी ओर, पंजाब में जालंधर के डिप्टी कमिश्नर-कम-डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने जालंधर जिले में स्थापित बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिला पुलिस को सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. अमृतसर में आंबेडकर की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की हालिया घटना को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने एहतियात के तौर पर पुलिस को जालंधर में सावधानी बढ़ाने के निर्देश दिए, ताकि शरारती तत्वों की ऐसी किसी भी कार्रवाई को रोका जा सके.