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रायपुर। छत्तीसगढ़ में माओवादी घटनाओं में कमी आने पर अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में माओवादी घटनाओं में कमी आने पर अमितशाह को तकलीफ क्यों हो रही है? भाजपा के शासन काल में दक्षिण बस्तर के 3 सीमावर्ती ब्लाकों तक सीमित माओवाद ने 15 वर्षो तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के गृहजिले कवर्धा सहित 14 जिलों को अपनी गिरफ्त में ले लिया था।
उन्होंने कहा कि आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ईमानदारी से अपनी रमन सिंह सरकार की विफलता स्वीकार करनी चाहिए थी कि वे केंद्र में अपनी ही पार्टी के सरकार से नक्सली हिंसा से निपटने के लिए भी पर्याप्त धन नहीं ला पा रहे थे। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह बार-बार छत्तीसगढ़ के दौरे जरूर करते रहे। माओवादियों से निपटने में राज्य सरकार के साथ सहयोग के बड़े-बड़े दावे भी करते हैं लेकिन राशि उत्तरप्रदेश को ज्यादा देते है। केंद्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के साथ लगातार भेदभाव करती रही है। सच यह है कि राज्य में नक्सली गतिविधियां भाजपा सरकार में लगातार 15 वर्षों से बढ़ी हैं और इस पर अंकुश लगाने की कोई मंशा रमन सिंह जी की भी नहीं दिखी है। मोदी सरकार की मंशा भी उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ को मिलने वाली केन्द्रीय सहायता के आंकड़ों से स्पष्ट हो गयी है।
माओवाद से ग्रस्त छत्तीसगढ़ से छह गुना पैसा उत्तरप्रदेश को
उत्तर प्रदेश में कोई भी ज़िला गहन नक्सली हिंसा से प्रभावित नहीं है और न ही पिछले चार वर्षों में वहां कोई गंभीर वारदात हुई है लेकिन वर्ष 2014 से 2018 के बीच उत्तर प्रदेश के नक्सली हिंसा ने निपटने के लिए 349.21 करोड़ की राशि दी गई जबकि इसी अवधि में छत्तीसगढ़ को सिर्फ़ 53.71 करोड़ की राशि दी गई। जबकि छत्तीसगढ़ देश का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित प्रदेश है और कई ज़िले गहन नक्सली गतिविधियों के लिए जाने जाते है। छत्तीसगढ़ माओवादी हिंसा और सर्वाधिक माओवाद प्रभावित क्षेत्र के लिये पूरे देश में बदनाम है।