मुंबई. काला घोड़ा कला महोत्सव ने सातवें दिन विविध कला रूपों का जश्न मनाया, आयोजन का समापन महान पंकज उधास को एक महान संगीतमय श्रद्धांजलि, ‘वेलवेट वॉयस’ के साथ क्रॉस मैदान में हुआ.

दिल छू लेने वाली ग़ज़लों की शाम के लिए इकट्ठा संगीत प्रेमियों ने, ‘उनका सुकून भरा अंदाज़, उनकी आवाज़ की मिठास और उनके गीतों की गहराइयों ने हर दिल को छुआ है’ के साथ दिए गए परिचय पर तालियाँ बजाईं. उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी, लेकिन उनका संगीत हमेशा हमारे दिलों में, हमेशा रहेगी. ‘उन्होंने ग़ज़ल को एक नया रूप दिया, न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी.’

सुदीप बनर्जी, गायत्री अशोकन, पृथ्वी गंधर्व और मीनल जैन सहित प्रसिद्ध कलाकार उनके कालातीत संगीत का सम्मान करने के लिए मंच पर आए, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए.

सुदीप ने श्रद्धांजलि संगीत कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा, “परों को खोल, ज़माना उड़ान देखता है, ज़मीन पर बैठके क्या आसमान देखता है… तो ये उड़ना हमको पंकज जी ने सिखाया और हम उनका प्यार, उनका साथ, और हमेशा हमारे लिए मददगार बने रहने को संजोते हैं.” . आज हम उनको याद करेंगे.”

इसके बाद पंकज उधास के कुछ सबसे लोकप्रिय ट्रैक आए, जिनमें निकलो ना बेनकाब, सुदीप का दीवारों से मिलकर रोना, गायत्री का आज वही गीत और आई बारिशों का मौसम है, मीनल का मधुर आहिस्ता, जीये तो जीये कैसे और प्रतिष्ठित शामिल हैं. अनुपम पृथ्वी के गाने सबको मालूम है मैं शराबी नहीं और थोड़ी थोड़ी पिया करो ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. शाम का अंत सभी चार गायकों के प्रतिष्ठित चिट्ठी आई है गाने के साथ हुआ और दर्शकों ने भी गाना गाया.