Kaise hua Basant Panchmi ki Shuruaat: बसंत पंचमी मनाने की शुरुआत को लेकर कई पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ हैं. यह त्योहार मुख्य रूप से विद्या, ज्ञान, कला और संगीत की देवी माँ सरस्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है. इसकी उत्पत्ति के पीछे कुछ प्रमुख कथाएँ हैं.

सरस्वती जयंती और ज्ञान की उत्पत्ति

एक मान्यता के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान ब्रह्मा ने मानव जाति की रचना की, लेकिन वे नीरस और भावहीन थे. इस स्थिति को देखकर उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे माँ सरस्वती प्रकट हुईं. उन्होंने ब्रह्मा जी के आदेश पर वीणा बजाई, जिससे संसार में मधुरता, वाणी और ज्ञान का संचार हुआ. इसी दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा.

कामदेव और रति की कथा (Kaise hua Basant Panchmi ki Shuruaat)

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव जब माता सती के वियोग में ध्यानमग्न थे, तब देवताओं ने प्रेम के देवता कामदेव को उन्हें जगाने के लिए भेजा. कामदेव ने अपने प्रेम-बाण चलाए, जिससे शिव का ध्यान टूटा. इस घटना का दिन बसंत पंचमी का था, इसलिए इसे प्रेम और सौंदर्य का पर्व भी माना जाता है.

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रामायण और बसंत पंचमी (Basant Panchmi ki Shuruaat, Ramayan)

रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम माता सीता की खोज में निकले थे, तब उन्होंने बसंत पंचमी के दिन शबरी के झूठे बेर खाए थे. इस दिन को भक्तिभावना और प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

महाभारत में बसंत पंचमी (Basant Panchmi ki Shuruaat, Maha Bharat)

महाभारत में भी बसंत पंचमी का उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि इसी दिन भीष्म पितामह ने अपनी इच्छामृत्यु का वरदान पूरा किया था और शरीर त्यागा था.

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साहित्य और बसंत पंचमी (Basant Panchmi ki Shuruaat)

यह दिन कवियों और लेखकों के लिए भी खास होता है. प्राचीन काल से ही इसे विद्या और कला का पर्व माना जाता है और इसी दिन कई साहित्यिक कृतियों की रचना की गई.