महाराष्ट्(Maharshtra)र में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (Guillain-Barre Syndrome) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो लोगों को डराने लगे हैं. इसी बीच, स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को GBS के संदिग्ध मामलों पर एक ताजा रिपोर्ट जारी की. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अब तक 158 संदिग्ध जीबीएस मरीज पाए गए हैं, इनमें से 127 को जीबीएस के पुष्टि किए गए मामले के रूप में क्लासीफाइड किया गया है, और 5 संदिग्ध मौतें भी हुई हैं. प्रदूषित पानी की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ज़्यादातर केस पुणे और आसपास के क्षेत्रों से हैं.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 38 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है, वहीं 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. इसके अलावा 18 मरीज पिंपरी चिंचवड़, 18 मरीज पुणे ग्रामीण और 83 मरीज सिंहगढ़ रोड, किर्किटवाड़ी, नंदोशी और उसी क्षेत्र के कुछ गांवों से हैं. जबकि 8 मरीज दूसरे जिलों के हैं.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जीबीएस के पहले मामले महाराष्ट्र के पुणे सहित कुछ शहरों में रिपोर्ट किए गए, लेकिन अब अन्य राज्यों में भी बढ़ रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी जीबीएस के मामले सामने आए हैं. तेलंगाना में एक महिला को जीबीएस के लक्षण दिखने पर हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
महाराष्ट्र में GBS का कहर!
महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से मरने वालों की संख्या शनिवार, 2 फरवरी को 5 हो गई, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया. पुणे के वारजे इलाके में 60 वर्षीय व्यक्ति की श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण शनिवार को मौत हो गई. इससे पहले, राज्य में 4 लोगों की मौत हुई थी.
अलग-अलग हिस्सों से पानी के नमूने लैब भेजे गए
पुणे शहर से 160 पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए पब्लिक हेल्थ लैब में भेजे गए हैं, जिसमें आठ जल स्रोतों के नमूने दूषित पाए गए हैं.
अधिकारी ने बताया कि सिंहगढ़ रोड क्षेत्र में कुछ निजी बोरवेल से लिए गए नमूनों में से एक में ई-कोली या एस्चेरिचिया कोली बैक्टीरिया पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि पानी में ई-कोली होना मल या एनिमल वेस्ट से गंदगी फैलने का संकेत है, जो जीबीएस संक्रमण को जन्म दे सकते हैं.
सीएम ने की समीक्षा
29 जनवरी को कैबिनेट बैठक में जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से दिए गए प्रेजेंटेशन में, प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जीबीएस के बारे में मौजूदा जमीनी स्थिति की समीक्षा की और सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था करने को कहा.
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