पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। एक ओर विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में सिंगरौली जिले के देवसर विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीणों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि सुखे के दिनों में लोगों को थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन बरसात के दिनों में चलना मुश्किल हो जाता है।

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दरअसल, सरई नगर परिषद के वार्ड नंबर 6 स्थित कोनी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और ग्राम आरोग्य केंद्र तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। ग्रामीणों को खेतों की मेड़ों और जंगल के पगडंडी रास्तों से गुजरकर यहां तक पहुंचना पड़ता है। सुखे के दिनों में स्थिति थोड़ी बेहतर रहती है, लेकिन जब बरसात का मौसम आता है तब यहां तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है।

इस मार्ग की दुर्दशा का सबसे अधिक प्रभाव स्कूल जाने वाले बच्चों और शिक्षकों पर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक सड़क निर्माण की मांग की जा चुकी है, लेकिन अब तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने विधायक और कलेक्टर से भी सड़क निर्माण की गुहार लगाई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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वहीं एक तरफ सरकार यह दावा करती है कि हम शहर के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में सड़कों का जाल बिछा रहे हैं, गांव के एक-एक घर तक सड़क पहुंचा रहे हैं। लेकिन जब इस तरह की तस्वीर सामने आती है तो कहीं न कहीं जो सरकार के दावे हैं उसकी पोल खुल जाती है। आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी यदि सरकार स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचने के लिए सड़के नहीं बनवा पा रही तो सीधा अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के दावों में कितना दम है।

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