World Cancer Day 2025: आज विश्व कैंसर दिवस है. इस दिन को कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सही उपायों के बारे में सोचने के उद्देश्य से पूरे विश्व में मनाया जाता है. इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं महिलाओं में सबसे आम, ब्रेस्ट कैंसर के बारे में. दशकों से Breast Cancer (स्तन कैंसर) के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गया है. 

बता दें, दुनिया भर में, हर 14 सेकंड में, ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि जिन लोगों का निदान किया गया उनमें से लगभग आधे में जेंडर और उम्र के अलावा कोई अन्य कारक नहीं था. 2022 में, लगभग 2.3 मिलियन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का पता चला और लगभग 670,000 की इससे मृत्यु हो गई. 2023 में भारत में कुल मिलाकर दो लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे और 82,000 से ज्यादा मौतें हुई. इस बोझ को कम करने के लिए शुरुआती पहचान सबसे कारगर उपाय है.

30 वर्ष की आयु से हर साल कराएं मेडिकल जांच:

प्रारंभिक अवस्था में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का उपचार संभव है, तथा इसका समय पर पता लगाने के लिए नियमित जांच आवश्यक है. महिलाओं को 30 वर्ष की आयु से हर साल एमआरआई और मैमोग्राम करवाना चाहिए. खासकर उन महिलाओं को जिनका ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास रहा हो या आनुवंशिक कारक जो इसके विकास को तेज कर सकते हैं. 

डिजिटल मैमोग्राफी, ब्रेस्ट एमआरआई और जेनेटिक टेस्टिंग जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीकों से अधिक आयु वर्ग की महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है. अध्ययनों से पता चलता है कि 40 वर्ष की आयु में ही जांच कराने से ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित मृत्यु दर में 40% की कमी आ सकती है.

घर पर भी करें Breast Cancer की जांच

ब्रेस्ट कैंसर के मामले में समय पर पहचान बहुत महत्वपूर्ण होती है. महिलाएं घर पर भी ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (BSE) के माध्यम से अपने ब्रेस्ट की जांच कर सकती हैं. इसे मासिक धर्म चक्र के 5वें से 10वें दिन के बीच करना सबसे अच्छा होता है. इस दौरान महिलाएं अपने ब्रेस्ट और उसके आसपास के हिस्से को हल्के दबाव के साथ जांच सकती हैं. यदि किसी प्रकार की गांठ या असामान्य बदलाव दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

क्यों बढ़ रहे हैं ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें बच्चा न होना, ब्रेस्टफीडिंग न कराना, मोटापे के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन का बढ़ना, और आनुवांशिक कारण शामिल हैं. हालांकि, यह कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन इसकी संभावना 35 वर्ष की उम्र के बाद अधिक होती है. इसलिए महिलाएं इसके प्रति सजग रहें और समय पर जांच कराएं.

Breast Feeding (स्तनपान) क्यों है जरूरी ?

चिकित्सकों के अनुसार, जिन महिलाओं ने कभी बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराया, उनमें ब्रेस्ट कैंसर के मामले अधिक पाए गए हैं. इसके अलावा, कई महिलाएं अपने फिगर के प्रति सजग रहती हैं और इस कारण से वे बच्चों को दूध पिलाने से बचती हैं, जो कि ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ावा दे सकता है. 

वहीं कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि यदि कोई महिला अपने बच्चे को 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराती है, तो उसमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 5 प्रतिशत तक कम हो जाता है. यह इसलिए होता है क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट टिश्यूज सिकुड़ते हैं और दूध उत्पादक कोशिकाएं बढ़ती हैं, जिससे उन असामान्य कोशिकाओं का खात्मा होता है, जो मासिक चक्र के दौरान विकसित हो सकती हैं और बाद में कैंसर का कारण बन सकती हैं.

स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना जरूरी

महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता और नियमित जांच बेहद जरूरी है. ब्रेस्टफीडिंग से लेकर ब्रेस्ट कैंसर की खुद से जांच तक, हर कदम आपकी सेहत को सुरक्षित रख सकता है. इसलिए इस विश्व कैंसर दिवस पर, हमें कैंसर के प्रति अपनी जागरूकता को बढ़ाना चाहिए और महिलाओं को इसके प्रति सजग करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर आप अपने जीवन को और बेहतर बना सकती हैं.