Lalluram Desk. AI मॉडल विकसित करने की भारत की क्षमता को खारिज करने के बाद OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने अब कहा है कि देश को कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए ऑल्टमैन ने AI में भारत की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए खुलासा किया कि यह OpenAI का वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा बाजार है.

सैम ऑल्टमैन का ताजा बयान 2023 में की गई टिप्पणियों के विपरीत हैं, जिसमें उन्होंने प्रतिस्पर्धी AI मॉडल बनाने की भारत की संभावनाओं को “पूरी तरह से निराशाजनक” करार दिया था. उस समय उन्होंने क्या 10 मिलियन डॉलर के सीमित बजट वाली एक छोटी टीम एक मजबूत AI फाउंडेशन मॉडल बनाने के सवाल पर यह बात कही थी. अब, उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके पहले के बयान को संदर्भ से प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने कहा कि AI मॉडल को प्रशिक्षित करना अभी भी महंगा है, लेकिन अधिक व्यवहार्य होता जा रहा है, और भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए.

ऑल्टमैन के दृष्टिकोण में बदलाव संभवतः तब आया है जब भारत आने वाले महीनों में अपना खुद का AI मॉडल पेश करने की तैयारी कर रहा है. मंत्री वैष्णव ने हाल ही में घोषणा की कि देश एक स्वदेशी AI मॉडल पर काम कर रहा है जिसे सुरक्षित, संरक्षित और लागत प्रभावी बनाया गया है. यह पहल बड़े IndiaAI मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त AI समाधान विकसित करना है, जिसमें कई भारतीय भाषाओं के लिए समर्थन शामिल है.

सरकार ने पहले ही AI विकास का समर्थन करने के लिए एक उच्च-स्तरीय कंप्यूटिंग अवसंरचना स्थापित की है. यह परियोजना 10,000 GPU के साथ शुरू हो रही है, जिसमें जल्द ही अतिरिक्त 8,693 GPU जोड़े जाएंगे. यह शोधकर्ताओं, डेवलपर्स और छात्रों के लिए AI कंप्यूटिंग शक्ति तक सस्ती पहुँच प्रदान करेगा. वैश्विक AI मॉडल का उपयोग करने पर प्रति घंटे $2.5 और $3 के बीच खर्च हो सकता है, भारत के AI कंप्यूटिंग संसाधन 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी के बाद 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम में उपलब्ध होंगे.

हाल ही में ओपनएआई की अमेरिका में 500 बिलियन डॉलर की विशाल ‘स्टारगेट’ एआई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना की घोषणा करने वाले ऑल्टमैन ने माना कि एआई विकास महंगा तो है, लेकिन यह दीर्घकालिक आर्थिक मूल्य प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि एआई मॉडल प्रशिक्षण महंगा बना रहेगा, लेकिन यह अब भारत जैसे देशों की पहुंच से बाहर नहीं है. इस बीच वैष्णव ने भारत की एआई महत्वाकांक्षाओं की तुलना अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से करते हुए कहा कि जिस तरह भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में उल्लेखनीय प्रगति की है, उसी तरह वह एआई विकास में भी समान सफलता प्राप्त कर सकता है.