पहचान की चोरी: जानिए इससे कैसे बचें

डिजिटल युग में पहचान की चोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है. साइबर अपराधी व्यक्तिगत जानकारी चुराकर धोखाधड़ी करते हैं, जैसे कि लोन लेना या किसी पर कानूनी आरोप लगाना. इससे बचने के लिए हमें अपनी जानकारी की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.

भारत में पहचान चोरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे यह दुनिया में सबसे आगे निकल चुका है. रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक 2.72करोड़ लोग इस अपराध का शिकार हो चुके हैं, और ये आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

भारत में बढ़ते पहचान चोरी के मामले

पहचान चोरी के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे वित्तीय धोखाधड़ी, चिकित्सा धोखाधड़ी, और ऑनलाइन धोखाधड़ी. साइबर अपराधी इन तरीकों से किसी की जानकारी चुराकर अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हैं.

पहचान चोरी के प्रकार

साइबर अपराधी फ़िशिंग, सोशल मीडिया धोखाधड़ी, और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. बैंक अधिकारी बनकर या आधार लिंक करने के बहाने व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करना इनकी सामान्य रणनीतियाँ हैं.

कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी?

अपनी पहचान की चोरी से बचने के लिए अनचाही कॉल और ईमेल से सावधान रहें, मजबूत पासवर्ड बनाएं और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) चालू करें. साथ ही, सार्वजनिक Wi-Fi का इस्तेमाल सोच-समझकर करें और सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी सीमित रखें.

पहचान चोरी से बचाव के उपाय

अगर आपकी पहचान चोरी हो जाए, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें, क्रेडिट ब्यूरो में धोखाधड़ी अलर्ट लगाएं, और पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएं. इस तरह आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं.

अगर आपकी पहचान चोरी हो जाए तो क्या करें?